वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था notes, Class 10 economics chapter 4 notes in hindi

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10 Class अर्थशास्त्र Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes in hindi

TextbookNCERT
ClassClass 10
Subjectअर्थशास्त्र Economics
Chapter Chapter 4
Chapter Nameवैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था
CategoryClass 10 अर्थशास्त्र Notes in Hindi
MediumHindi

वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था notes, Class 10 economics chapter 4 notes in hindi. जिसमे वैश्वीकरण , वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था , वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक , मुक्त व्यापार , बहुराष्ट्रीय कंपनियां , विदेश व्यापार और बाजारों का एकीकरण , विश्व व्यापार संगठन , भारत और वैश्वीकरण , न्यायसंगत वैश्वीकरण के लिए प्रयास आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 10 Economics Chapter 4 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था Notes in hindi

📚 अध्याय = 4 📚
💠 वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था 💠

❇️ वैश्वीकरण :-

🔹 विभिन्न देशों के बीच परस्पर संबंध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया को ही वैश्वीकरण के नाम से जाना जाता है ।

❇️ उदारीकरण :-

🔹 सरकार द्वारा अवरोधों और प्रतिबंधो को हटाने की प्रक्रिया को उदारीकरण कहा जाता है ।

❇️ निजीकरण :-

🔹 सार्वजनिक क्षेत्रों की कंपनियों को चरणाबद्ध तरीके से निजी क्षेत्र में बेचना निजीकरण कहलाता है ।

❇️ बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ :-

🔹 बहुराष्ट्रीय कंपनी एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण व स्वामित्व रखती है । 

❇️ बहुराष्ट्रीय कंपनियों से लाभ :-

🔹 विभिन्न देशों में उत्पादन का विस्तार होने से बहुराष्ट्रीय कंपनियों को सस्ती कीमतों पर सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले संसाधन प्राप्त होते हैं , जिससे उनका लाभ अत्यधिक बढ़ जाता है । 

🔹 उत्पादन के विस्तार से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ अविकसित देशों में रोजगार के अवसर उत्पन्न करती हैं ।

❇️ विदेशी व्यापार :-

🔹 विदेशी व्यापार एक माध्यम है , जो अपने देश के बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करता है ।

❇️ निवेश :-

🔹 परिसंपत्तियों जैसे- भूमि , भवन , मशीन और अन्य उपकरणों की खरीद में व्यय की गई मुद्रा को निवेश कहते है ।

❇️ विदेशी निवेश :-

🔹 बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किए गए निवेश को विदेशी निवेश कहते है ।

❇️ विदेशी व्यापार और विदेशी निवेश में अंतर :-

🔶 विदेशी व्यापार :-

विदेशों से वस्तुओं को खरीदने और बेचने को विदेशी व्यापार कहते हैं । 

इसके अन्तर्गत आयात और निर्यात की दोनों प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं ।

यह उत्पादन के लिये अवसर प्रदान करता है । 

🔶 विदेशी निवेश :- 

अधिक लाभ कमाने के उद्देश्य से जब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ मेजबान देश में धन से उत्पादन इकाई की स्थापना करती है , उसे विदेशी निवेश कहते हैं ।

विदेशी निवेश में बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किया गया पूँजी निवेश आता है ।

यह पूँजी की कमी को दूर करता है ।

❇️ बहुराष्ट्रीय कंपनियो का उत्पादन पर नियंत्रण करने की विधियाँ :-

  • संयुक्त उपक्रम विधि ।
  • स्थानीय कम्पनियों को खरीदना । 
  • छोटे उत्पादकों से माल खरीदना । 
  • अपने ब्रांड का इस्तेमाल करके ।

❇️ विदेश व्यापार कैसे बाजारों का एकीकरण करता है ? 

विदेश व्यापार उत्पादकों को अपने देश के बाजार से बाहर के बाजारों में पहुँचने का अवसर प्रदान करता है । 

देशों के मध्य माल और सेवाओं के आवागमन की सुविधा । 

घरेलू बाजारों अर्थात् अपने देश के बाजारों से बाहर के बाजारों में पहुँचने के लिए उत्पादकों को एक अवसर प्रदान करना । 

बाजार में ग्राहकों के लिए वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं । 

बाजार में नई प्रौद्योगिकी और विचारों को बढ़ावा मिलता है । 

उत्पादकों में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्द्धा से ग्राहकों को वस्तुओं और सेवाओं की बेहतर गुणवत्ता प्राप्त होती है ।

❇️ वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक :- 

  • प्रौद्योगिकी का विकास
  • परिवहन में सुधार
  • सूचना प्रौधोगिकी
  • दूरसंचार एवं संचार उपग्रह
  • सरकार द्वारा अवरोधों की समाप्ति
  • इंटरनेट

❇️ व्यापार अवरोधक :-

🔹 सरकार द्वारा माल या सेवाओं के अंतर्राष्ट्रीय आदान – प्रदान पर प्रतिबंध लगाना व्यापार अवरोधक कहलाता है । आयात पर कर ( आयात शुल्क ) व्यापार अवरोधक का एक उदाहरण है ।

🔹 इसे अवरोधक इसलिए कहा गया है , क्योंकि यह कुछ प्रतिबंध लगाता है । सरकार व्यापार अवरोधक का प्रयोग विदेशी व्यापार में नियमन हेतु करती है ।

❇️ स्वतंत्रता के पश्चात भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार और विदेशी विनिमय पर अवरोधक लगाने के केे कारण :-

विदेशी प्रतिस्पर्धा से देश के उत्पादकों की रक्षा करना । 

स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजो ने भारतीय उद्योग धन्धों को चौपट कर दिया था । स्वतंत्रता के बाद यहाँ भारतीय उद्योग स्थापित किए गए । उद्योगों के विकास के लिए विदेशी व्यापार पर रोक आवश्यक थी । 

स्वतंत्रता के बाद भारत 562 टुकड़ों में बंटा हुआ था । यहाँ परिवहन तथा संचार के साधन अस्त व्यस्त थे ।

स्वतंत्रता के शुरूआती वर्षों में भारत के वैदेशिक संबंध इतने सुदृढ़ नहीं बन पाए थे कि विश्व के अन्य देशों के साथ व्यापार विकसित हो सके ।

❇️ मुक्त व्यापार :-

🔹 जब दो देशों के बीच व्यापार बिना किसी प्रतिबंध के होता है तो उसे मुक्त व्यापार कहते हैं ।

❇️ विदेशी व्यापार तथा विदेशी निवेश का उदारीकरण :-

1991 के शुरूआत से विदेशी व्यापार तथा विदेशी विनेश पर से अवरोधों को काफी हद तक हटा दिया गया । 

वस्तुओं का आयात निर्यात सुगमता से किया जा सकता था । 

विदेशी कंपनियाँ आसानी से यहाँ अपने कार्यलय और कारखाने स्थापित कर सकती थी ।

❇️ विश्व व्यापार संगठन :-

🔹 विश्व व्यापार संगठन ( डब्लू . टी . ओ . ) एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को उदार बनाना और मुक्त व्यापार की सुविधा देना है ।

🔶 कार्य :- इसका मुख्य कार्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यापार आसानी से , अनुमानित रूप से और जितना संभव हो उतना स्वतंत्र रूप से हो । 

🔹 विश्व के लगभग 160 देश विश्व व्यापार संगठन के सदस्य हैं ।

🔹 इसने भारत के विदेशी व्यापार और निवेश के उदारीकरण का समर्थन किया है ।

❇️ विश्व व्यापार संगठन का मुख्य उद्धेश्य :-

  • विदेशी व्यापार को उदार बनाना । 
  • विकसित देशों की पहल पर शुरू किया गया । 
  • अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार से संबंधित नियमों को निर्धारित करता है । 
  • विकासशील देशों को व्यापार अवरोधक हटाने के लिए विवश करता है । 
  • विकसित देशों ने अनुचित ढंग से व्यापार अवरोधकों को बरकरार रखा है ।

❇️ किन कारणों से भारत में आर्थिक सुधार की आवश्यकता पड़ी :-

  • राजकोषीय घाटे में वृद्धि ।
  • प्रतिकूल भुगतान संतुलन में वृद्धि ।
  • विदेशी मुद्रा भंडार में कमी । 
  • कीमतों में वृद्धि । 
  • भारतीय कंपनियों को तैयार करना ।

❇️ वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव :-

🔹 वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप उत्पादकों ( स्थानीय और विदेशी दोनों ) के बीच अधिक प्रतिस्पर्द्धा से उपभोक्ताओं , विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में समृद्ध वर्ग को लाभ पहुँचता है । यह बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पादों और कम कीमतों के साथ बेहतर विकल्प देता है । 

🔹 बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में अपने निवेश में वृद्धि की है ; जैसे :- सेल फोन , मोटरगाड़ियाँ , इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद , ठंडे पेय पदार्थ , जंक खाद्य पदार्थों एवं बैंकिंग जैसी सेवाओं में निवेश इत्यादि ।

🔹 उद्योगों और सेवाओं में नए रोजगार उत्पन्न हुए हैं , साथ ही इन उद्योगों को कच्चे माल इत्यादि की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियाँ समृद्ध हुईं । 

🔹 वैश्वीकरण नई और उन्नत तकनीक को लाता है , जिसके द्वारा स्थानीय कंपनियों को भी लाभ मिलता है ।

❇️ वैश्वीकरण का लोगों के जीवन पर पड़े प्रभाव :-

उपभोक्ताओं के सामने पहले से अधिक विकल्प हैं । 

उपभोक्तओं को कम कीमत पर अधिक गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध हो रहे हैं । 

लोग पहले की तुलना में आज उच्चतर जीवन स्तर का मजा ले रहे हैं ।

उद्योगों और सेवाओं में नये रोज़गार उत्पन्न हुए हैं । 

उद्योगों को कच्चे माल इत्यादि की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियाँ समृद्ध हुई हैं ।

❇️ विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए उठाए गए कदम :-

विशेष आर्थिक क्षेत्र की स्थापना की जा रही है । 

विशेष आर्थिक क्षेत्रों में विश्व स्तरीय सुविधाएँ , बिजली , पानी , सड़क , परिवहन , भण्डारण , मनोरंजन और शैक्षिक सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं ।

विशेष आर्थिक क्षेत्र में उत्पादन इकाइयाँ स्थापित करने वाली कंपनियों को आरंभिक पाँच वर्षों तक कोई कर नहीं देना पड़ता है । 

विदेशी निवेश आकर्षित करने हेतु सरकार ने श्रम कानूनों में लचीलापन लाने की अनुमति दे दी है । 

नियमित आधार पर श्रमिकों को रोजगार देने के बजाय , जब काम का दवाब अधिक हो , छोटी अवधि के लिए श्रमिकों को रखने की छूट । 

आर्थिक नीतियों को उदार बनाया जा रहा है ।

❇️ सेज ( SEZ ) :-

🔹 किसी विशेष क्षेत्र में अतिरिक्त सुविधाएँ प्रदान कर विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित करता । 

❇️ वैश्वीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहित करने में प्रौद्योगिकी की भूमिका :-

परिवहन तकनीक में कई सुधारों ने दूर – दूर के स्थानों पर कम लागत पर वस्तुओं को भेजना संभव बनाया है । 

सूचना प्रोद्यौगिकी में सुधार से विभिन्न देश आपस में जुड़कर तुरंत सूचना प्राप्त कर लेते हैं । 

इंटरनेट टैक्नालॉजी से व्यापार में गति आई है ।

❇️ वैश्वीकरण के कारण प्रतिस्पर्धा के कुप्रभाव :-

प्रतिस्पर्धा के कारण छोटे उद्योगों जैसे बैटरी , प्लास्टिक , खिलौने , टायरों आदि के उत्पादकों पर बुरा प्रभाव पड़ा । 

फलस्वरूप काफी इकाइयाँ बंद हो गईं । 

श्रमिकों की बेरोज़गारी में वृद्धि । 

श्रमिकों को अस्थाई आधार पर नियुक्त किया गया । 

श्रमिकों को संरक्षण और लाभ नहीं मिल रहा । 

श्रमिकों का अधिक घंटों तक काम करना आम बात हो गई ।

❇️ उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के फलस्वरूप भारत में आए मुख्य परिवर्तन :-

उदारीकरण तथा वैश्वीकरण की नीति अपनाने के फलस्वरूप निजी निवेश बढ़ने का अधिक अवसर मिला । 

विदेशी विनिमय कोष ( भंडार ) बढ़ गया । 

आई टी उद्योग का विस्तार हुआ । 

सरकारी राजस्व में वृद्धि ।

❇️ न्याय संगत वैश्वीकरण के लिए प्रयास :-

न्याय संगत वैश्वीकरण सभी के लिए अवसर प्रदान करेगा । 

सरकार की नीतियाँ सबको सरंक्षण प्रदान करने वाली होनी चाहिए । 

सरकार सुनिश्चित कर सकती है कि श्रमिक कानूनों का उचित कार्यान्वयन हो और श्रमिकों को उनके अधिकार मिलें ।

सरकार न्यायसंगत नियमों के लिए विश्व व्यापार संगठन से समझौते कर सकती है । 

समान हित वाले विकासशील देशों से गठबंधन कर सकती है ।

❇️ वैश्वीकरण को न्यायसंगत बनाने के लिए सरकार की भूमिका :-

वैश्वीकरण की नई नीति के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने का प्रयत्न किया गया ताकि पूँजी , तकनीकी ज्ञान और अनुभव का विश्व के विभिन्न देशों से आदान – प्रदान हो सके । 

सरकार ने माल के आयात पर से अनेक प्रतिबन्ध हटा दिए । 

आयातित माल पर कर , कम कर दिए । 

विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहन दिया गया । 

तकनीकी क्षेत्र को हर ढंग से उन्नत करने का प्रयत्न किया गया । 

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