भारत में राष्ट्रवाद notes, Class 10 history chapter 2 notes in hindi

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10 Class History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes in hindi

TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHistory
Chapter Chapter 2
Chapter Nameभारत में राष्ट्रवाद
CategoryClass 10 History Notes in Hindi
MediumHindi

भारत में राष्ट्रवाद notes, Class 10 history chapter 2 notes in hindi. जिसमे हम प्रथम विश्व युद्ध, खिलाफत, असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन , नमक सत्याग्रह , किसानों, श्रमिकों, आदिवासियों के आंदोलन , विभिन्न राजनीतिक समूहों की गतिविधियां आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 10 History Chapter 2 भारत में राष्ट्रवाद Notes in hindi

📚 अध्याय = 2 📚
💠 भारत में राष्ट्रवाद 💠

❇️ भारत में राष्ट्रवाद ( समय के अनुसार एक नजर में ) :-

  • 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हुआ ।
  • 1870 बंकिमचंद्र द्वारा वंदेमातरम की रचना हुई ।
  • 1885 में कांग्रेस की स्थापना बम्बई ( मुम्बई ) में हुई । व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस के प्रथम अध्यक्ष बने ।
  • लार्ड कर्जन ने 1905 में बंगाल के विभाजन का प्रस्ताव किया ।
  • 1905 में अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता का चित्र बनाया ।
  • 1906 में आगा खां एवं नवाब सलीमुल्ला ने मुस्लिम लीग की स्थापना की ।
  • 1907 में कांग्रेस का विभाजन नरम दल एवं गरम दल में हुआ ।
  • 1911 में दिल्ली दरबार का आयोजन । दिल्ली दरबार में बंगाल विभाजन को रद्द किया गया । दिल्ली दरबार में राजधानी कोलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की गई ।
  • 1914 में प्रथम विश्व युद्ध का आरम्भ ।
  • 1915 में महात्मा गाँधी की स्वदेश वापसी ।
  • 1917 में महात्मा गाँधी ने नील कृषि के विरोध में चंपारण में आंदोलन किया ।
  • 1917 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों के लिए सत्याग्रह किया ।
  • 1918 में महात्मा गाँधी ने गुजरात के अहमदाबाद में सूती कपड़ा मिल के कारीगरों के लिए सत्याग्रह किया ।
  • 1918 में प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति हुई । 
  • ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों की स्वशासन की माँग को ठुकरा दिया ।
  • 1919 में ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों पर रॉलट एक्ट जैसा काला कानून दिया ।
  • 13 अप्रैल 1919 में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ ।
  • 1919 में खिलाफत आंदोलन की शुरुआत मुहम्मद अली व शौकत अली ने की ।
  • महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन की शुरूआत की ।
  • 1922 में चौरी – चौरा में हुई । हिंसक घटना के बाद महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया ।
  • 9 अगस्त 1925 को काकोरी में क्रांतिकारियों ने अंग्रेजी खजाना ले जा रही ट्रेन को लूट लिया ।
  • 1928 में साइमन कमीशन भारत आया जिसका विरोध करते हुए लाला लाजपत राय की मृत्यु हुई ।
  • 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह व बटुकेश्वर दत्त ने असेम्बली पर बम फेंका
  • 12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी ने साबरमती से दाण्ड़ी यात्रा आरम्भ की ।
  • 6 अप्रैल 1930 को दाण्डी पहुँच कर महात्मा गाँधी नमक कानून तोड़ा व सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की ।
  • 1930 में डॉ . अम्बेडकर ने अनुसूचित जातियों को दमित वर्ग एसोसिएशन में संगठित किया ।
  • 23 मार्च 1931 को भगत सिंह , सुखदेव एवं राजगुरू को फांसी दे दी गई ।
  • 1931 गांधी इरविन समझौता व सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस ले लिया ।
  • 1931 में महात्मा गाँधी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया । परंतु उन्हें वहाँ अपेक्षित सफलता हाथ नहीं लगी ।
  • 1932 मे महात्मा गांधी एवं अम्बेडकर के मध्य पूना पैक्ट हुआ ।
  • 1933 में चौधरी रहमत अली सर्वप्रथम पाकिस्तान का विचार सामने रखा ।
  • 1935 में भारत शासन अधिनियम पारित हुआ व प्रांतीय सरकार का गठन ।
  • 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ ।
  • 1940 के मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवशेन में पाकिस्तान की मांग का संकल्प पास किया गया ।
  • 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत व गांधी जी ने करो या मरो का नारा दिया ।
  • 1945 में अमेरीका ने जापान पर परमाणु हमला किया व द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया ।
  • 1946 में कैबिनेट मिशन संविधान सभा के प्रस्ताव के साथ भारत आया ।
  • 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हुआ ।

❇️ राष्ट्रवाद का अर्थ :-

🔹 अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम की भावना एकता की भावना तथा एक समान चेतना राष्ट्रवाद कहलाती है । यह लोग समान ऐतिहासिक , राजनीतिक तथा सांस्कृतिक विरासत साझा करते है । कई बार लोग विभिन्न भाषाई समूह के हो सकते है ( जैसे भारत ) लेकिन राष्ट्र के प्रति प्रेम उन्हें एक सूत्र में बांधे रखता है ।

❇️ राष्ट्रवाद को जन्म देने वाले कारक :-

  • यूरोप में :- राष्ट्र राज्यों के उदय से जुड़ा हुआ है ।
  • भारत , वियतनाम जैसे उपनिवेशों में :- उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ा है ।

❇️ भारत में राष्ट्रवाद की भावना पनपने के कारक :-

साहित्य , लोक कथाओं , गीतों व चित्रों के माध्यम से राष्ट्रवाद का प्रसार ।

भारत माता की छवि रूप लेने लगी । 

लोक कथाओं द्वारा राष्ट्रीय पहचान । 

चिह्नों और प्रतीकों के प्रति जागरूकता । उदाहरण झंडा । 

इतिहास की पुनर्व्याख्या ।

💠 पहला विश्वयुद्ध , ख़िलाफ़त और असहयोग 💠

❇️ प्रथम विश्वयुद्ध का भारत पर प्रभाव तथा युद्ध पश्चात परिस्थितियाँ :-

युद्ध के कारण रक्षा संबंधी खर्चे में बढ़ोतरी हुई थी । 

इसे पूरा करने के लिए कर्जे लिये गए और टैक्स बढ़ाए गए । 

अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कस्टम ड्यूटी और इनकम टैक्स को बढ़ाना पड़ा । 

युद्ध के वर्षों में चीजों की कीमतें बढ़ गईं । 

1913 से 1918 के बीच दाम दोगुने हो गए ।

दाम बढ़ने से आम आदमी को अत्यधिक परेशानी हुई । 

ग्रामीण इलाकों से लोगों को जबरन सेना में भर्ती किए जाने से भी लोगों में बहुत गुस्सा था । 

भारत के कई भागों में उपज खराब होने के कारण भोजन की कमी हो गई । 

फ़्लू की महामारी ने समस्या को और गंभीर कर दिया । 

1921 की जनगणना के अनुसार , अकाल और महामारी के कारण 120 लाख से 130 लाख तक लोग मारे गए  । 

💠 सत्याग्रह का विचार 💠

❇️ सत्याग्रह का अर्थ :-

🔹 यह सत्य तथा अहिंसा पर आधारित एक नए तरह का जन आंदोलन करने का रास्ता था ।

❇️ महात्मा गांधी के सत्याग्रह का अर्थ :-

🔹 सत्याग्रह ने सत्य पर बल दिया । 

🔹 गांधीजी का मानना था कि यदि कोई सही मकसद के लिए लड़ रहा हो तो उसे अपने ऊपर अत्याचार करने वाले से लड़ने के लिए ताकत की जरूरत नहीं होती है । अहिंसा के माध्यम से एक सत्याग्रही लड़ाई जीत सकता है । 

❇️ महात्मा गाँधी द्वारा भारत में किए गए सत्याग्रह के आरंभ :-

महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे । 

गांधीजी की जन आंदोलन की उपन्यास पद्धति को ‘ सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है । 

भारत में सबसे पहले चंपारण ( बिहार ) 1917 में दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ नील की खेती करने वाले किसानों को प्रेरित किया ।

1917 में खेड़ा गुजरात किसानों को कर में छूट दिलवाने के लिए उनके संघर्ष में समर्थन दिया फसल खराब हो जाने व प्लेग महामारी के कारण किसान लगान चुकाने की हालत में नहीं थे ।

अहमदाबाद ( गुजरात ) 1918 में कपड़ा कारखाने में काम करने वाले मजदूरों के समर्थन में सत्याग्रह आंदोलन किया ।

❇️ रॉलट ऐक्ट 1919 :-

🔶 रॉलट ऐक्ट का मुख्य प्रावधान :-

🔹 राजनीतिक कैदियों को बिना मुकदमा चलाए दो साल तक जेल में बंद रखने का प्रावधान ।

🔶 रॉलट ऐक्ट का उद्देश्य :-

🔹 भारत में राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने के लिए ।

🔶 रॉलट ऐक्ट अन्यायपूर्ण क्यों था :-

  • भारतीयों की नागरिक आजादी पर प्रहार किया । 
  • भारतीय सदस्यों की सहमति के बगैर पास किया गया ।

🔶 रॉलट ऐक्ट के परिणाम :-

  • 6 अप्रैल को महात्मा गांधी के नेतृत्व में एक अखिल भारतीय हड़ताल का आयोजन । 
  • विभिन्न शहरों में रैली , जूलूस हुए ।
  • रेलवे वर्कशॉप्स में कामगारों का हड़ताल हुई ।
  • दुकाने बंद हो गई । 
  • स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया गया । 
  • बैंकों , डाकखानों और रेलवे स्टेशन पर हमले हुए ।

❇️ रॉलैट ऐक्ट 1919 ( विस्तार से ) :-

🔹 इंपीरियल लेगिस्लेटिव काउंसिल द्वारा 1919 में रॉलैट ऐक्ट को पारित किया गया था । भारतीय सदस्यों ने इसका समर्थन नहीं किया था , लेकिन फिर भी यह पारित हो गया था । 

🔹 इस ऐक्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति प्रदान किये थे । इसके तहत बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक बंदी बनाया जा सकता था ।

🔹 6 अप्रैल 1919 , को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की । हड़ताल के आह्वान को भारी समर्थन प्राप्त हुआ । अलग – अलग शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े , दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये । 

🔹 अंग्रेजी हुकूमत ने राष्ट्रवादियों पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया । कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया । महात्मा गांधी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया ।

❇️ जलियावाला बाग हत्याकांड की घटना  :-

🔹 10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई । इसके कारण लोगों ने जगह – जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया । अमृतसर में मार्शल लॉ लागू हो गया और इसकी कमान जेनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई । 

🔹 जलियांवाला बाग का दुखद नरसंहार 13 अप्रैल को उस दिन हुआ जिस दिन पंजाब में बैसाखी मनाई जा रही थी । ग्रामीणों का एक जत्था जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शरीक होने आया था । यह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे ।

🔹 जेनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलवा दी । इस दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए । सरकार का रवैया बड़ा ही क्रूर था । इससे चारों तरफ हिंसा फैल गई । महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसा नहीं चाहते थे ।

❇️ जलियावाला बाग हत्याकांड का प्रभाव :- 

भारत के बहुत सारे शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए । 

हड़ताले होने लगी , लोग पुलिस से मोर्चा लेने लगे और सरकारी इमारतों पर हमला करने लगे । 

सरकार ने निर्ममतापूर्ण रवैया अपनाया तथा लोगों को अपमानित और आतंकित किया । 

सत्याग्रहियो को जमीन पर नाक रगड़ने के लिए , सड़क पर घिसकर चलने और सारे ‘ साहिबों ‘ ( अंग्रेजों ) को सलाम करने के लिए मजबूर किया गया । 

लोगों को कोड़े मारे गए तथा गुजरांवालां ( पंजाब ) के गांवों पर बम बरसाये गए ।

नोट :- हिंसा फैलते देख महात्मा गांधी ने रॉलट सत्याग्रह वापस ले लिया ।

❇️ आंदोलन के विस्तार की आवश्यकता :-

🔹  रॉलैट सत्याग्रह मुख्यतया शहरों तक ही सीमित था । महात्मा गांधी को लगा कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए । उनका मानना था कि ऐसा तभी हो सकता है जब हिंदू और मुसलमान एक मंच पर आ जाएँ ।

❇️ खिलाफत का मुद्दा :-

🔹 खिलाफत शब्द ‘ खलीफा ‘ से निकला हुआ है जो ऑटोमन तुर्की का सम्राट होने के साथ – साथ इस्लामिक विश्व का आध्यात्मिक नेता भी था ।

🔹 प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की हार हुई थी यह अफवाह फैल गई थी कि तुर्की पर एक अपमानजनक संधि थोपी जाएगी । इसलिए खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा के लिए मार्च 1919 में अली बंधुओं द्वारा बम्बई में एक खिलाफत समिति का गठन किया गया ।

❇️ महात्मा गांधी ने क्यों खिलाफत का मुद्दा उठाया :-

🔹 रॉलट सत्याग्रह की असफलता के बाद से ही महात्मा गांधी पूरे भारत में और भी ज्यादा जनाधार वाला आंदालन खड़ा करना चाहते थे ।

🔹 उन्हे विश्वास था कि बिना हिंदू और मुस्लिम को एक दूसरे के समीप लाए ऐसा कोई अखिल भारतीय आंदोलन खड़ा नही किया जा सकता इसलिए उन्होने खिलाफत का मुद्दा उठाया ।

❇️ हिंद स्वराज :-

🔹 महात्मा गांधी द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक , जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन के असहयोग पर जोर दिया गया था । 

💠 असहयोग आंदोलन 💠

❇️ असहयोग क्यों ?

🔹 अपनी प्रसिद्ध पुस्तक स्वराज ( 1909 ) में महात्मा गाँधी ने लिखा कि भारत में अंग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारतीयों ने उनके साथ सहयोग किया और उसी सहयोग के कारण अंग्रेज हुकूमत करते रहे । यदि भारतीय सहयोग करना बंद कर दें , तो अंग्रेजी राज एक साल के अंदर चरमरा जायेगी और स्वराज आ जायेगा । गाँधीजी को विश्वास था कि यदि भारतीय लोग सहयोग करना बंद करने लगे , तो अंग्रेजों के पास भारत को छोड़कर चले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा । 

❇️ असहयोग आंदोलन के कारण :-

  • प्रथम महायुद्ध की समाप्ति पर अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता का शोषण । 
  • अंग्रेजों द्वारा स्वराज प्रदान करने से मुकर जाना । 
  • रॉलेट एक्ट का पारित होना ।
  • जलियाँवाला बाग हत्याकांड ।
  • कलकत्ता अधिवेशन में 1920 में कांग्रेस द्वारा असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव बहुमत से पारित ।

❇️ असहयोग आंदोलन के कुछ प्रस्ताव :-

  • अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना ।
  • सिविल सर्विस , सेना , पुलिस , कोर्ट , लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार ।
  • विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार । 
  • यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये , तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना । 

❇️ असहयोग आंदोल से संबंधित कांग्रेसी अधिवेशन :-

  • सितंबर 1920 :- असहयोग पर स्वीकृति अन्य नेताओ द्वारा ।
  • दिसंबर 1920 :- स्वीकृति पर मोहर तथा इसकी शुरूआत पर सहमति ।

❇️ आंदोलन के भीतर अलग – अलग धाराएँ :-

🔹 असहयोग – खिलाफत आंदोलन की शुरुआत जनवरी 1921 में हुई थी । 

🔹 विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में हिस्सा लिया परंतु प्रत्येक वर्ग की अपनी अपनी आकांक्षाएँ थी । 

🔹 सभी के लिए ‘ स्वराज ‘ का अर्थ भिन्न था । 

🔹 प्रत्येक सामाजिक समूह ने आंदोलन में भाग लेते हुए ‘ स्वराज ‘ का मतलब एक ऐसा युग लिया जिसमें उनके सभी कष्ट और सारी मुसीबते खत्म हो जाएंगी ।

❇️ शहरों में असहयोग आंदोलन का धीमा पड़ना :-

🔹 चक्की के कपड़े की तुलना में खादी का कपड़ा अधिक महंगा था और गरीब लोग इसे खरीद नहीं सकते थे । परिणामस्वरूप वे बहुत लंबे समय तक मिल के कपड़े का बहिष्कार नहीं कर सकते थे ।

🔹 वैकल्पिक भारतीय संस्थान वहां नहीं थे जिनका इस्तेमाल अंग्रेजों की जगह किया जा सकता था । ये ऊपर आने के लिए धीमी थीं । 

🔹 इसलिए छात्रों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में वापस आना शुरू कर दिया और वकील सरकारी अदालतों में काम से जुड़ गए । 

❇️ असहयोग आंदोल की समाप्ति :-

🔹 फरवरी 1922 में महात्मा गांधी ने आंदोलन वापस ले लिया क्योंकि चौरी चौरा में हिंसक घटना हो गई थी ।

❇️ चौरी चौरा की घटना :-

🔹 फरवरी 1922 में , गांधीजी ने नो टैक्स आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । बिना किसी उकसावे के प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चला दीं । लोग अपने गुस्से में हिंसक हो गए और पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और उसमें आग लगा दी । यह घटना उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा में हुई थी ।

💠 सविनय अवज्ञा आंदोलन की ओर 💠

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन :-

🔹 1921 के अंत आते आते , कई जगहों पर आंदोलन हिंसक होने लगा था । फरवरी 1922 में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय ले लिया । कांग्रेस के कुछ नेता भी जनांदोलन से थक से गए थे और राज्यों के काउंसिल के चुनावों में हिस्सा लेना चाहते थे । राज्य के काउंसिलों का गठन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट 1919 के तहत हुआ था । कई नेताओं का मानना था सिस्टम का भाग बनकर अंग्रेजी नीतियों विरोध करना भी महत्वपूर्ण था ।

🔹 प्रांतीय परिषद चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर कांग्रेस के नेताओं मे आपसी मतभेद हुआ । सी . आर दास तथा मोती लाल नेहरू द्वारा ‘ स्वराज पार्टी ‘ ( जनवरी 1923 ) का गठन ताकि प्रांतीय परिषद के चुना में हिस्सा ले सकें । विश्वव्यापी आर्थिक मंदी की वजह से कृषि उत्पाद की कीमतों में भारी गिरावट आई । ग्रामीण इलाकों में भारी उथल पुथल । 

❇️ साइमन कमीशन :-

🔹 1927 में ब्रिटेन में साइमन कमिशन का गठन ताकि भारत में सवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन किया जा सके । 1928 में साइमन कमीशन का भारत आना- पूरे भारत में विरोध प्रदर्शन हुआ । कांग्रेस ने इस आयोग का विरोध किया क्योंकि इसमें एक भी भारतीय शामिल नही था । दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था । इसमें पूर्ण स्वराज के संकल्प को पारित किया गया । 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया और लोगों से आह्वान किया गया कि वे संपूर्ण स्वाधीनता के लिए संघर्ष करें ।

❇️ नमक यात्रा और असहयोग आंदोलन ( 1930 ) :-

जनवरी 1930 में महात्मा गांधी ने लार्ड इरविन के समक्ष अपनी 11 मांगे रखी । 

ये मांगे उद्योगपतियो से लेकर किसान तक विभिन्न तबके से जुड़ी हुई थी । 

इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांग नमक कर को खत्म करने की थी । 

लार्ड इरविन इनमें से किसी भी माँग को मानने के लिए तैयार नही थे । 

12 मार्च 1930 को महात्मा गांधी द्वारा नमक यात्रा की शुरूआत । 

6 अप्रैल 1930 को नमक बनाकर नमक कानून का उल्लंघन यह घटना सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत थी । 

❇️ गाँधी इर्विन समझौते की विशेषताएँ :-

  • 5 मई 1931 ई . को गाँधी इरविन समझौता । 
  • सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया जाये । 
  • पुलिस द्वारा किए अत्याचारों की निष्पक्ष जाँच की जाये । 
  • नमक पर लगाए गए सभी कर हटाए जाएँ ।

❇️ आंदोलन में किसने भाग लिया ? 

🔹 देश के विभिन्न हिस्सों में सविनय अवज्ञा आंदोलन लागू हो गया । गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक अपने अनुयायियों के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया । 

🔹 ग्रामीण इलाकों में , गुजरात के अमीर पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे । चूंकि अमीर समुदाय व्यापार अवसाद और गिरती कीमतों से बहुत प्रभावित थे , वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के उत्साही समर्थक बन गए ।

🔹 व्यापारियों और उद्योगपतियों ने आयातित वस्तुओं को खरीदने और बेचने से इनकार करके वित्तीय सहायता देकर आंदोलन का समर्थन किया ।

🔹 नागपुर क्षेत्र के औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया । रेलवे कर्मचारियों , डॉक वर्कर्स , छोटा नागपुर के खनिज आदि ने विरोध रैली और बहिष्कार अभियानों में भाग लिया । 

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की मुख्य घटनाएं :-

  • देश के विभिन्न हिस्से में नमक कानून का उल्लंघन ।
  • विदेशी वस्तुओ का बहिष्कार ।
  • शराब की दुकानो की पिकेटिंग ।
  • वन कानूनों का उल्लंघन ।

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन में ब्रिटिश सरकार की प्रतिक्रिया :-

  • कांग्रेस नेताओं का हिरासत में लिया गया । 
  • निर्मम दमन
  • शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर आक्रमण । 
  • महिलाओं व बच्चों की पिटाई ।
  • लगभग 1,00,000 गिरफ्तार

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रति लोगों और औपनिवेशिक सरकार ने की प्रतिक्रिया :-

  • लोगों ने सरकारी कानूनों को भंग करना शुरू कर दिया । 
  • आंदोलन को दबाने के लिए सरकार ने कठोरता से काम लिया । 
  • हजारों जेल गए । 
  • गाँधीजी को कैद कर लिया गया । 
  • अब जनता इसमें बढ़ – चढ़कर भाग लेने लगी । 

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की विशेषताएँ :-

इस बार लोगों को न केवल अंग्रेजों का सहयोग न करने के लिए बल्कि औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने के लिए । आह्वान किया जाने लगा । 

देश के विभिन्न भागों में हजारों लोगों ने नमक कानून तोड़ा तथा सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए । 

विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया जाने लगा । 

किसानों ने लगान और चौकीदारों ने कर चुकाने से इन्कार कर दिया । 

वनों में रहने वाले लोगों ने वन कानूनों का उल्लंघन करना आरंभ कर दिया ।

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन में महिलाओं की भूमिका :-

औरतों ने बहुत बड़ी संख्या में गाँधी के नमक सत्याग्रह में भाग लिया । 

हजारों औरतें उनकी बात सुनने के लिए यात्रा के दौरान घरों से बहार आ जाती थीं । 

उन्होंने जलूसों में भाग लिया , नमक बनाया , विदेशी कपड़ों और शराब की दुकानों की पिकेटिंग की । 

कई महिलाएँ जेल भी गईं । 

ग्रामीण क्षेत्रों की औरतों ने राष्ट्र की सेवा को अपना पवित्र दायित्व माना ।

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन कैसे असहयोग आंदोलन से अलग था :-

🔹 असहयोग आंदोलन में लक्ष्य ‘ स्वराज ‘ था लेकिन इस बार ‘ पूर्ण स्वराज की मांग थी ।

🔹 असहयोग में कानून का उल्लंघन शामिल नही था जबकि इस आंदोलन में कानून तोड़ना शामिल था ।

❇️ सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ :- 

अनुसूचित की भागीदारी नहीं थी क्योंकि लंबे समय से कांग्रेस इनके हितों की अनदेखी कर रही थी । 

मुस्लिम संगठनो द्वारा सविनय अवज्ञा के प्रति कोई खास उत्साह नही था क्योंकि 1920 के दशक के मध्य से कांग्रेस ‘ हिंदू महासभा ‘ जैसे हिंदू धार्मिक संगठनों के करीब आने लगी थी । 

दोनो समुदायों के बीच संदेह और अविश्वास का माहौल बना हुआ था ।

❇️ 1932 की पूना संधि के प्रावधान :-

🔹 इससे दमित वर्गों ( जिन्हें बाद में अनुसूचित जाति के नाम से जाना गया ) को प्रांतीय एवं केंद्रीय विधायी परिषदों में आरक्षित सीटें मिल गई हालाँकि उनके लिए मतदान सामान्य निर्वाचन क्षेत्रों में ही होता था ।

❇️ सामूहिक अपनेपन का भाव :-

🔹 वे कारक जिन्होने भारतीय लोगों में सामूहिक अपनेपन की भावना को जगाया तथा सभी भारतीय लोगों को एक किया । 

🔶 चित्र व प्रतीक :- भारत माता की प्रथम छवि बंकिम चन्द्र द्वारा बनाई गई । इस छवि के माध्यम से राष्ट्र को पहचानने में मदद मिली । 

🔶 लोक कथाएँ :- राष्ट्रवादी घूम घूम कर इन लोक कथाओं का संकलन करने लगे ये कथाएँ परंपरागत संस्कृति की सही तस्वीर पेश करती थी तथा अपनी राष्ट्रीय पहचान को ढूढने तथा अतीत में गौरव का भाव पैदा करती थी ।

🔶 चिन्ह :- उदाहरण झंडा :- बंगाल में 1905 में स्वदेशी आंदोलन के दौरान सर्वप्रथम एक तिरंगा ( हरा , पीला , लाल ) जिसमें 8 कमल थे । 1921 तक आते आते महात्मा गांधी ने भी सफेद , हरा और लाल रंग का तिरंगा तैयार कर लिया था । 

🔶 इतिहास की पुर्नव्याख्या :- बहुत से भारतीय महसूस करने लगे थे कि राष्ट्र के प्रति गर्व का भाव जगाने के लिए भारतीय इतिहास को अलग ढंग से पढ़ाना चाहिए ताकि भारतीय गर्व का अनुभव कर सकें । 

🔶 गीत जैसे वंदे मातरम :- 1870 के दशक में बंकिम चन्द्र ने यह गीत लिखा मातृभूमि की स्तुति के रूप में यह गीत बंगाल के स्वदेशी आंदोलन में खूब गाया गया ।

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