वायुमंडल का संघटन तथा संरचना notes, Class 11 geography chapter 8 notes in hindi

Follow US On

11 Class Geography Chapter 8 वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना Notes In Hindi Composition and Structure of Atmosphere 

TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectGeography
Chapter Chapter 8
Chapter Nameवायुमण्डल का संघटन एवं संरचना
Composition and Structure of Atmosphere
CategoryClass 11 Geography Notes in Hindi
MediumHindi

वायुमंडल का संघटन तथा संरचना notes, Class 11 geography chapter 8 notes in hindi जिसमे हम वायुमण्डल , एयरोसोल्स , वायुमंडल की परते , गैसों स्थलरुप आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 11 Geography Chapter 8 वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना Composition and Structure of Atmosphere Notes In Hindi

📚 अध्याय = 8 📚
💠 वायुमण्डल का संघटन एवं संरचना 💠

❇️ वायुमण्डल :-

🔹 पृथ्वी के चारों तरफ वायु के आवरण को वायुमण्डल कहते है । यह वायु का आवरण पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी के चारों ओर कम्बल के रूप में चिपका हुआ है तथा पृथ्वी का एक महत्वपूर्ण अंग है । पृथ्वी पर जीवन का अंश ऐसी वायुमंडल की वजह से सम्भव है । जीवित रहने हेतु वायु सभी जीवों के लिए महत्वपूर्ण है । वायुमण्डल का 99 प्रतिशत भाग भू पृष्ठ से 32 किलोमीटर की ऊचाई तक सीमित है ।

❇️ वायु :-

🔹  विभिन्न गैसों के मिश्रण को वायु कहते है । वायु , रंगहीन , गंधहीन एवं स्वादहीन है । वायु में अनेक महत्वपूर्ण गैसें जैसे – नाइट्रोजन , ऑक्सीजन , आर्गन , कार्बन डाइआक्साइड , नियान , हिलीयम , ओजोन , हाइड्रोजन , मिथेन , क्रिप्टोन जेनान आदि पाई जाती हैं ।

🔹 गैसों के अलावा वायुमंडल में जलवाष्प तथा धूलकण भी उपस्थित रहते हैं ।

❇️ एयरोसोल्स :-

🔹 वायुमंडल में जल कण , कार्बन डाईऑक्साइड , ओजोन , जेनॉन , क्रिप्टॉन निओन , आर्गन तथा बड़े ठोस कण मिलकर एयरोसोल्स कहलाते है ।

❇️ वायुमंडल की परते :-

🔹 तापमान व वायुदाब के आधार पर वायुमंडल को पांच परतों – क्षोभमण्डल , समतापमंडल , मध्यमंडल , आयनमंडल एवं बाह्य मण्डल में बांटा गया है । सभी मंडलों की अलग – अलग विशेषताएँ होती है ।

❇️ वायुमंडल के संघटन की संक्षेप मे व्यख्या :-

🔹 वायुमंडल मुख्यतः कुछ गैसों , जलवाष्प एंव धूलकणों से बना है ।

🔶 गैसें :- 

🔹 वायुमंडल की गैसों का अधिकांश भाग नाइट्रोजन ( 78.8 % ) एवं ऑक्सीजन ( 20.95 % ) से युक्त है । इसके अतिरिक्त मुख्य गैसें कार्बन डाई आक्साइड , आर्गन एंव ओजोन आदि हैं । सभी गैसों का अपना महत्व है । ये गैसें जिस निश्चित अनुपात में है वह बना रहना चाहिये ।

🔶 जलवाष्प :- 

🔹 वायुमंडल में जलवाष्प की मात्रा किसी स्थान की जलवायु पर निर्भर करती है । जलवाष्प सूर्यातप का कुछ भाग सोख लेती है और पृथ्वी से उत्सर्जित ताप को भी ग्रहण करती है । इस तरह यह पृथ्वी को अधिक गर्म एंव अधिक ठंडा होने से बचाती है ।

🔶  धूलकण :- 

🔹 धूलकण आर्द्रता को ग्रहण करने के लिये केन्द्रक का कार्य करते हैं और मेघों के निर्माण में सहायक होते हैं । 

❇️ वायुमण्डल में धूल के कणों का महत्व :-

🔹 वायुमण्डल में वायु की गति के कारण सूक्ष्म धूल के कण उड़ते रहते हैं । ये धूल के कण विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होते हैं । इनमें सूक्ष्म मिट्टी , धूल , समूद्री नमक , धुंए की कालिख , राख तथा उल्कापात के कण सम्मिलित हैं । ये धूल कण हमारे जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी होते होते हैं । इस प्रक्रिया से बादल बनते हैं और वर्षा होती है । धूल – कण सूर्यातप को रोकने तथा उसे परावर्तित करने का कार्य भी करते हैं । ये सूर्योदय तथा सूर्यास्त के समय आकाश में लाल तथा नारंगी रंग की छटाओं का निर्माण करते हैं ।

❇️  वायुमण्डल की महत्वपूर्ण गैसों का वर्णन :-

🔹 वायुमण्डल कई गैसों का मिश्रण है । गैसों के अतिरिक्त वायुमण्डल में जलवाष्प तथा धूल के कण भी उपस्थित रहते हैं । 

🔹 कुछ महत्वपूर्ण गैसों का वितरण निम्न प्रकार है : 

🔶 नाइट्रोजन :- 

🔹 इस गैस की प्रतिशत मात्रा सबसे अधिक 78.8 प्रतिशत है । यह वायुमण्डल की महत्वपूर्ण गैसों में से एक है । नाइट्रोजन से पेड़ – पौधों के लिए प्रोटीनों का निमार्ण होता है जो भोजन का मुख्य अंग हैं । 

🔶 ऑक्सीजन :- 

🔹 ऑक्सीजन गैस जीवनदायिनी गैस मानी गई है क्योंकि इसके बिना हम सांस नही ले सकते । वायुमण्डल में ऑक्सीजन की मात्रा 20.95 प्रतिशत है । ऑक्सीजन के अभाव में हम ईंधन नहीं जला सकते हैं ।

🔶 कार्बनडाईऑक्साइड गैस :-

🔹 यह सबसे भारी गैस है और इस कारण यह सबसे निचली परत में ही मिलती है । वायुमण्डल में केवल 0.03 प्रतिशत होते हुए भी कार्बन डाइ ऑक्साइड महत्वपूर्ण गैस है क्योंकि यह पेड – पौधों के लिए आवश्यक है । 

🔶 ओजोन गैस :- 

🔹 यह वायुमण्डल में अधिक ऊंचाइयों पर ही अति न्यून मात्रा में मिलती है । यह सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी विकिरण को अवाशोषित करती है ।

🔶 एयरोसोल्स :-

🔹 वायुमंडल में जल कण , कार्बन डाईऑक्साइड , ओजोन , जेनॉन , क्रिप्टॉन , निओन , आर्गन तथा बड़े ठोस कण मिलकर एयरोसोल्स कहलाते है ।

❇️ वायुमण्डल की संरचना का वर्णन :-

🔹 तापमान तथा वायुदाब के आधार पर वायुमण्डल को पांच प्रमुख परतों में बांटा जाता है । रासायनिक संघटन के आधार पर वायुमण्डल दो विस्तृत परतों होमोस्फेयर तथा हैट्रोस्फेयर में विभक्त है । 

🔹 किंतु तापमान व गैसों के संघटन के आधार पर वायुमंडल को निम्नलिखित परतों में बाँटा गया है :-

🔶 क्षोभमंडल ( Troposphere ) :- 

🔹 यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है । इसकी औसत ऊँचाई 13 किलोमीटर है । इसकी ऊँचाई भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 8 किलोमीटर है । ऋतु तथा मौसम से सम्बधित सभी घटनाएँ इसी परत में घटित होती हैं । यह परत मानव के लिए उपयोगी है । 

🔶 समतापमंडल ( Stratosphere ) :- 

🔹 यह परत 50 किलोमीटर तक विस्तृत है । इसके निचले भाग में 20 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान में कोई परिवर्तन नहीं आता इसलिए इसे समतापमण्डल कहते हैं । इसके ऊपर 50 किलोमीटर की ऊँचाई तक तापमान में वृद्धि होती है इस परत के निचले भाग में ओजोन गैस उपस्थित है जो सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण का अवशोषण करती है ।

🔶 मध्यमंडल ( Mesosphere ) :-

🔹 इस परत का विस्तार 50 से 90 किलोमीटर की ऊँचाई तक है । इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान में गिरावट आती है । 

🔶 आयनमंडल ( lonosphere ) :-

🔹  इस परत का विस्तार 90 किलोमीटर से 400 किलोमीटर तक है । यहाँ उपस्थित गैस के कण विद्युत – आवेषित होते हैं इन्हें आयन कहते हैं । आयनमण्डल पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगों को परावर्तित करके पृथ्वी पर वापस भेज देता है । 

🔶 बाह्यमंडल ( Exosphere ) :-

🔹 आयन मण्डल के ऊपर वायुमंडल की सबसे ऊपरी परत है जिसे बाह्यमण्डल कहते हैं । इस परत में वायु बहुत ही विरल है जो धीरे – धीरे बाह्य अन्तरिक्ष में विलीन हो जाती है ।

❇️ क्षोभमण्डल को वायुमण्डल की सबसे महत्वपूर्ण परत क्यों माना जाता है ?

🔹 क्षोभमण्डल वायुमण्डल की सबसे निचली परत है । इसकी औसत ऊँचाई 13 किलोमीटर है । इसकी ऊँचाई भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर तथा ध्रुवों पर 8 किलोमीटर है । भूमध्य रेखा पर क्षोभमण्डल की ऊँचाई अधिक होने का कारण वहाँ पर चलने वाली संवहनीय धाराएं हैं जो ऊष्मा को पर्याप्त ऊँचाई तक ले जाती हैं । इनके अलावा

  • क्षोभमण्डल में मौसम सम्बन्धी सभी घटनाएं जैसे बादल बनना , वर्षा , संघनन आदि घटित होती हैं ।
  • इस मण्डल में ऊँचाई के साथ तापमान कम होता जाता है ।
  • इसी परत में धूलकण तथा जलवाष्प सबसे अधिक मात्रा में होती है । 

❇️  क्षोभमंडल को जीवनदायनी परत क्यों कहा जाता है ? 

🔹 क्षोभमंडल को जीवनदायनी परत इसलिए समझा जाता है , क्योंकि जीवित रहने के लिए समस्त अनुकूल दशाएं इस परत में होती हैं इसके अलावा वायु का चलना , वर्षा का होना , बिजली चमकना व बादलों का बनना आदि मौसम संबंधी समस्त घटनाएं इसी परत में होती हैं ।

❇️ मौसम तथा जलवायु में अन्तर :-

🔶 मौसम :- तापमान , वर्षा , वायुदाब , आर्द्रता , वायु की दिशा व गति आदि तत्वों का औसत मौसम कहलाता है । यह एक छोटे भूभाग पर छोटी अवधि अथवा दैनिक वायुमंडलीय दशाओं को अभिव्यक्त करता है । 

🔶 जलवायु :- मौसम के तत्वों का औसत लम्बी समय अवधि तथा बड़े भूभाग पर कई वर्षों के अध्ययनों पर आधारित वायुमंडलीय , दशाओं की सामान्य अभिव्यक्ति है ।

❇️ मौसम तथा जलवायु के प्रमुख तत्व :-

  • तापमान ( Temperature )
  • दाब तथा पवन ( Pressure and Wind )
  • आर्द्रता तथा वर्षण ( Moistureand Precipitation ) 

❇️ मौसम तथा जलवायु के प्रमुख जलवायु नियंत्रक :-

  • अक्षांश अथवा सूर्य
  • स्थल तथा जल का वितरण
  • उच्च तथा निम्न वायुदाब पेटी 
  • ऊँचाई 
  • पर्वतीय बाधा
  • महासागरीय जल धाराएँ 
  • अन्य विभिन्न प्रकार के तूफान पवन
Legal Notice
 This is copyrighted content of INNOVATIVE GYAN and meant for Students and individual use only. Mass distribution in any format is strictly prohibited. We are serving Legal Notices and asking for compensation to App, Website, Video, Google Drive, YouTube, Facebook, Telegram Channels etc distributing this content without our permission. If you find similar content anywhere else, mail us at contact@innovativegyan.com. We will take strict legal action against them.

All Classes Notes