11 Class Physical Education Chapter 4 विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Notes In Hindi Physical Education and Sports for Differentially Abled
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Physical Education |
Chapter | Chapter 4 |
Chapter Name | विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल |
Category | Class 11 Physical Education Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Class 11 Physical Education Chapter 4 विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Notes In Hindi जिसमे हम रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य , रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संगठन ( विशेष ओलम्पिक भारत , पैरालम्पिक , डैफलिम्पिक ) एकीकृत या समग्र शारीरिक शिक्षा की अवधारणा व आवश्यकता और इसका क्रियान्वन विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विभिन्न व्यवसाहिकों का योगदान ( परामर्श दाता , व्यावसायिक चिकित्सक , फिजियो – थैरिपिस्ट , शारीरिक शिक्षक , वानचिकित्सक विशेष शिक्षक ) आदि के बारे में पड़ेंगे ।
Class 11 Physical Education Chapter 4 विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल Physical Education and Sports for Differentially Abled Notes In Hindi
📚 अध्याय = 4 📚
💠 विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चों के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल 💠
❇️ रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा :-
🔹 शारीरिक शिक्षा का उपविषय है । यह एक व्यक्तिगत कार्यक्रम है जिसमें विद्यार्थियों का विकास किया जाता है ।
🔹 जिन विद्यार्थियों को विशेष शारीरिक शिक्षा कार्यक्रम की आवश्यकता होती है । रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के अर्न्तगत शारीरिक पुष्टि , गामक पुष्टि , मूलभूत गामक कौशल और तैराकी के विभिन्न कौशल , नृत्य कौशल , व्यक्तिगत एवं सामूहिक खेलकूद ।
❇️ रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा के लक्ष्य और उद्देश्य :-
🔹 सरकार द्वारा असहाय बच्चों को पहचानने के लिए कई कार्यक्रम चलाए गए हैं । जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं जैसे – सुधारात्मक शारीरिक शिक्षा , उपचारात्मक शारीरिक शिक्षा , शारीरिक चिकित्सा , सुधारात्मक चिकित्सा , विकासात्मक शारीरिक शिक्षा , व्यक्तिगत शारीरिक शिक्षा आदि ।
❇️ उद्देश्य :-
- चिकित्सा परीक्षण ।
- कार्यक्रम विद्यार्थियों की रूचि के अनुसार हो ।
- उपकरण आवश्यकतानुसार होने चाहिए ।
- विशेष पर्यावरण प्रदान करना चाहिए ।
- विद्यार्थियों की आवश्यकतानुसर नियमों का संशोधन किया जाना चाहिए ।
- आसान नियम होने चाहिए ।
❇️ एकीकृत शारीरिक शिक्षा की अवधारणा तथा सिद्धान्त :-
🔶 अवधारणा :-
🔹 इसके अन्तर्गत विभिन्न उपविषयों का ज्ञान तथा उनकी उपयोगिता की जानकारी होनी चाहिए , जिससे छात्रों को उचित ढंग से प्रशिक्षित किया जा सके । एकीकृ त शारीरिक शिक्षा का ज्ञान सभी व्यक्तियों की पुष्टि , सुयोग्यता बढ़ाने में सहायक होगा । इससे अच्छी गुणवत्ता के कार्यक्रम तैयार किये जा सकते हैं ।
❇️ रूपांतरित शारीरिक शिक्षा की अवधारणा व सिद्धांत :-
🔹 ऐसे बच्चे जिनमें अनेक प्रकार की समर्थताएँ व अयोग्ताएँ जैसे मानसिक दुर्बलता , बहरापन , अन्धापन , भाषा – असक्षमता होती है । इनके लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए , जिससे उनमें शारीरिक व गामक पुष्टि , ज्ञानात्मक , सामाजिक , भावानात्मक विकास किया जा सके ।
❇️ सिद्धान्त :-
🔹 इसके कार्यक्रम चिकित्सा परीक्षण विद्यार्थियों की रूचियों व क्षमता के अनुसार उपकरण आवश्यकतानुसार हो , विशेष पर्यावरण प्रदान करें , विभिन्न शैक्षिक सूक्तियों को लागू करना आवश्यक है ।
❇️ रूपान्तरित शारीरिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाले संगठन :-
🔶 स्पेशल ओलंपिक भारत :-
🔹 यह संस्था शारीरिक व मानसिक रूप से असक्षम खिलाड़ियों को ओलंपिक स्तर के लिए तैयार करती है । देश में राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय खेल प्राधिकरण की मदद से 24 एकल व टीम खेलों के लिए उन्हें प्रशिक्षण दिया जाता है । यह संस्था 1982 एक्ट के अन्तर्गत सन् 2001 में शुरू की गई ।
🔶 पैरालिम्पिकस :-
🔹 यह खेल शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के लिये आयोजित ओलम्पिक खेल है । सर्वप्रथम पैरालिम्पिकस 1960 में रोम में शुरू हुए । इन खेलों का मुख्यालय वोन – जर्मनी में स्थित है ।
🔶 डैफलिम्पिक :-
🔹 डैफलिम्पिक बधिर खिलाड़ियों के लिए आयोजित किए जाने वाले विश्व में सबसे बड़ा आयोजन है । इनका आयोजन बघिरों के लिए खेलों की अन्तर्राष्ट्रीय कमेटी ( The International Commit tee of Sports for the Deaf ) द्वारा किया जाता है । डैफलिम्पिक ( Deaflympics ) अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक सघं द्वारा स्वीकृत है । ओलम्पिक खेलों की तरह डैफलिम्पिक खेल प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किए जाते है । Deaflympics का प्रारम्भ 1924 में पेरिस में हुआ था । Winter Deaflympic की शुरूआत 1949 को हुई । इन खेलों की शुरूआत मात्र 148 खिलाड़ियों के प्रर्दशन से हुई किन्तु अब लगभग 4000 खिलाड़ी इन खेलों में भाग लेते है ।
🔹 डैफलिम्पिक ( Deaflympics ) में प्रति स्पर्धा करने के लिए खिलाड़ी की वधिरता कम से कम 55 डेसिबल होनी चाहिए । प्रतिस्पर्धा करते समय खिलाड़ी किसी सुनने के यन्त्र का प्रयोग नहीं कर सकते । Deaflympics में प्रतिस्पर्धा का आरम्भ करने के लिए ध्वनि यन्त्रों का प्रयोग नहीं किया जा सकता है । उदाहरण के लिए , बन्दूक की आवाज , सीटी की आवाज इत्यादि । अतः खेल की शुरूआत करने एवं खेल को आगे बढ़ाने के लिए फुटवॉल रेफरी झंड़े का प्रयोग करता है एवं दौड़ शुरू करने के लिए रौशनी की चमकार का प्रयोग किया जाता है । दर्शक भी ताली बजाने की अपेक्षा दोनों हाथों को लहरा लहराकर प्रतियोगियों का अभिनदंन करते हैं
वर्ष | आयोजक देश |
अगस्त 2013 | सोफीया ( बुलगारिया ) |
जुलाई ( July ) 2017 | सैमसन ( टर्की ) |
March 2015 | रशिया Russia |
2019 | इटली Italy |
❇️ समावेशन :-
🔹 समावेशन के अंतर्गत विशेष जरूरत वाले बच्चे अपना अधिकांश समय सामान्य बच्चों के साथ बिताते हैं । स्कूलों में समावेशित शिक्षा का उपयोग करते समय इस बात का ध्यान रखा जाता हैं कि विशेष बच्चों की आवश्यकता माइल्ड से सिवियर तक हो ।
🔹 समावेशिक शिक्षा विशेष जरूरतों वाले बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षित करने की एक प्रक्रिया है ।
🔹 समावेश विशेष विद्यालयों , विशेष कक्षाओं की उपयोगिता को अस्वीकार करता है ।
❇️ समावेशन का उद्देश्य :-
🔹 विशेष बच्चों की सम्पूर्ण भागीदारी और सामाजिक शैक्षिक और मौलिक अधिकारों की पूरी – पूरी सुरक्षा करना समावेशीकरण का उद्देश्य है ।
❇️ समावेशन की आवश्यकता :-
🔹 समावेशन की आवश्यकता निम्न कारणों से है ।
🔹 समावेशी शिक्षा प्रत्येक बच्चे के लिए उच्च और उचित उम्मीदों के साथ , उसकी व्यक्तिगत शक्तियों का विकास करती है ।
🔹 समावेशी शिक्षा अन्य छात्रों को अपनी उम्र के साथ कक्षा के जीवन में भाग लेने और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर काम करने हेतु अभिप्रेरित करती है ।
🔹 समावेशी शिक्षा बच्चों को उनके शिक्षा के क्षेत्र में और उनके स्थानीय स्कूलों की गतिविधि गयों में उनके माता – पिता को भी शामिल करने की वकालत करती है ।
🔹 समावेशी शिक्षा सम्मान और अपनेपन की स्कूल संस्कृति के साथ – साथ व्यक्तिगत मतभेदों को स्वीकार करने के लिए भी अवसर प्रदान करती है ।
🔹 समावेशी शिक्षा अन्य बच्चों , अपने स्वंय की व्यक्तिगत आवश्यकताओं और क्षमताओं के साथ प्रत्येक का एक व्यापक विविधता के साथ दोस्ती का विकास करने की क्षमता विकसित करती है ।
❇️ परामर्श दाता :-
🔹 विशेष शिक्षा परामर्शदाता , विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ काम करता है । यह परामर्श दाता , प्राथमिक , माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कार्य करते है । परामर्शदाता , विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए शैक्षणिक , भावनात्मक उत्थान , व्यक्तिगत एवं सामाजिक उत्थान के अवसर उपलब्ध करवाता है ।
❇️ व्यवसायिक चिकित्सा :-
🔹 व्यवसायिक चिकित्सा का उद्देश्य बच्चे के रोजमर्रा के कार्यों में स्वतन्त्र बनाना एवं उसकी भागीदारी सुनिश्चित करना है जैसे कि स्वयं की देख – रेख करना , खेलना , स्कूल जाना इत्यादि में बच्चे को स्वतन्त्र रूप से कार्य करने में सक्षम बनाना ।
🔹 व्यवसायिक चिकित्सक बच्चे की आवश्यकता के अनुसार आसपास के वातावरण में सुधार करते है जिससे बच्चों की क्रियाओं में वाधा उत्पन्न न हो ।
❇️ भौतिक चिकित्सक :-
🔹 भौतिक चिकित्सक शारीरिक कार्य प्रणाली के विकास एवं सुधार करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित होते है । इसमें शरीर की विभिन्न गतियाँ , सन्तुलन आसन ( Posture ) थकावट ( Fatigure ) और दर्द ( Pain ) आदि से सम्बंधित दोषों के निवारण में सहायक होते है ।
❇️ शारीरिक शिक्षा शिक्षक :-
🔹 शारीरिक शिक्षा के कार्यक्रम विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के सज्ञात्मक कार्यो ( Congnitive Function ) और शैक्षणिक प्रदर्शन में प्रगतिशील योगदान देते है । सामाजिक कोशल ( Social Skills ) और ( Collaboration Team work ) – सामूहिक समूह कार्यों को भी शारीरिक शिक्षा के अलग – अलग कार्यक्रमों द्वारा बढ़ाया जा सकता है ।
🔹 एक शारीरिक शिक्षा शिक्षक , शारीरिक शिक्षा के सभी कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है ।
❇️ वाक्- -चिक्त्सिक :-
🔹 वाक चिकित्सक को और कई नामो से जाना जाता है जैसे वाक शिक्षक ( Speeh Teacher ) वाक् – भाषा चिकित्सक इत्यादि । वाक चिकित्सक बच्चों में कई प्रकार के विकासात्मक विलम्ब , जैसे- स्वलीनता ( Autism ) श्रवण वाधित ( Hearing Impairmant ) और डाऊन सिन्ड्रोम ( down syndrome ) के कारण होने वाले दोषों को दूर करने में सहायता करता है ।
❇️ विशेष शिक्षण , शिक्षक :-
🔹 विशेष शिक्षण शिक्षक , विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थियों के साथ कक्षा में या कार्यशालाओं में कार्य करते है ।
🔹 विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी एक कक्षा में साधारण विद्यार्थियों के साथ भी शिक्षा ले सकते है । ऐसी कक्षा को समावेशी कक्षा ( Inclusive Classroom ) कहते है ।
🔹 विशेष शिक्षण शिक्षक का कार्य बहुआयामी एव बहुरंगी होता है । ऐसे शिक्षक की कार्यप्रणाली और विशेषता , विशेष आवश्यकता वाले विद्यार्थी की आवश्यकता अनुसार तय की जाती है ।
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