संस्थाओं का कामकाज नोट्स, Class 9 civics chapter 4 notes in hindi

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9 Class Political Science Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Notes In Hindi Working of Institution

TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectPolitical Science
Chapter Chapter 4
Chapter Nameसंस्थाओं का कामकाज
Working of Institution
CategoryClass 9 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi

संस्थाओं का कामकाज नोट्स, Class 9 civics chapter 4 notes in hindi जिसमे हम संसद , लोकसभा , राज्य सभा , कार्यपालिका , प्रधानमंत्री , राष्ट्रपति , न्यायपालिक आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 9 Political Science Chapter 4 संस्थाओं का कामकाज Working of Institution Notes In Hindi

📚 अध्याय = 4 📚
💠 संस्थाओं का कामकाज 💠

❇️ प्रमुख नीतिगत फैसले कैसे लिए जाते है :-

🔹 लोकतन्त्र में जब जनता शासकों का चुनाव करती है तो ये चुने उसे शासक संस्थाओं के माध्यम से शासन का संचालन करते है । 

🔹 संविधान के द्वारा शासन के मूल्यों के निर्धारण के साथ संस्थाओं के कार्यों और संस्थाओं की कार्य सीमा का भी निर्धारण किया जाता है ।

❇️ एक सरकारी आदेश :-

13 / August 1990 को भारत सरकार द्वारा जारी आदेश इसे कार्यालय ज्ञापन कहा गया । 

इनका O.M. नम्बर – 36012/31/90 

जिस पर कार्मिक जनशिकायत और पेंशन मन्त्रालय के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के एक संयुक्त सचिव के हस्ताक्षर है ।

इस सरकारी आदेश में प्रमुख नीतिगत फैसलों की घोषणा की गई । 

भारत सरकार के सरकारी पदों और सेवाओं में सामाजिक एवं शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों ( SEBC ) के लिए 27 % स्थान आरक्षित किया गये । 

अब तक आरक्षण SC .. S.T. को ही दिया जा रहा था अब आरक्षण के लिए तीसरी श्रेणी तैयार की जा रही थी ।

❇️ एक सरकारी आदेश कैसे बना :-

यह सरकारी आदेश लम्बे घटना क्रम का परिणाम था । 

भारत सरकार द्वारा 1979 में दूसरा पिछड़ी जाति आयोग गठित किया गया जिसकी अध्यक्षता वी.पी. मंडल ( विदेश्वरी प्रसाद मण्डल ) ने की इसी कारण इसे मंडल आयोग कहते है । 

पहला आयोग 1953 में कालेलकर की अध्यक्षता में गठित किया गया ।

मंडल आयोग ने अपनी सिफारिशें 1980 में प्रस्तुत की । 

जिसमें प्रमुख थी सरकारी नौकरियों में सामाजिक , और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों का 27 फीसदी आरक्षण देना । 

इस रिपोर्ट और इसकी सिफारिशो की चर्चा संसद में हुई ।

1989 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस रिपोर्ट में इस सिफारिशों को लागु करवाना शामिल किया है ।

चुनाव के बाद जनता पार्टी की सरकार बनी । वी.पी. सिंह प्रधानमंत्री बने ।

नयी सरकार में चुनावी वायदा पुरा करने के क्रम में राष्ट्रपति के अभिभाषण में मंडल रिपोर्ट को लागू करने की घोषणा की ।

वी.पी. सिंह ने अगले दिन संसद के दोनों सदनों को सुचित किया ।

कैबिनेट के फैसले को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को भेज दिया गया । कैबिनेट के फैसले के विभाग के अधिकारियों ने आदेश तैयार किया ।

संबंधित मंत्री की स्वीकृति के पश्चात अधिकारी के हस्ताक्षर पश्चात आदेश जारी हो गया । 

इस तरह 13 Aughst 1990 को O.M. Number 36012/31/90 तैयार हो गया ।

❇️ अन्य पिछड़ी जाति आयोग :-

  • 1979 में गठित । 
  • अध्यक्ष – बी . पी . मंडल । 
  • 8 सितम्बर 1993 में पूरी तरह लागू ।

❇️ संस्था :-

🔹 नागरिको की आधारभूत सुविधाएँ- शिक्षा , स्वास्थ्य , सुरक्षा और विकास , कल्याण परक सुविधाएँ नागरिकों को प्रदान करने वाली व्यवस्थाओं को ही संस्था / संस्थाएँ कहा जाता है ।

❇️ संसद :-

🔹 भारत में निर्वाचित सदस्यों की राष्ट्रीय सभा को संसद व राज्य स्तर पर इसे विधानसभा कहते हैं ।

🔹 संसद एक ऐसा मंच है जहाँ पर नागरिकों के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधि कानून / विधि निर्माण का कार्य करते हैं । संसद के दो सदन होते हैं :-

  • लोकसभा 
  • राज्य सभा 

❇️ संसद का सदस्य चुने जाने के लिए अनिवार्य योग्यताएं :-

  • भारत का नागरिक हो । 
  • सरकार के अंतर्गत किसी लाभप्रद पद पर कार्यरत न हो । 
  • दिवालिया या सज़ायाफ्ता न हो ।

❇️ संसद के राजनैतिक अधिकार :-

कानून बनाने , संशोधन करने तथा पुराने कानून की जगह नये कानून बनाने का अधिकार । 

सरकार चलाने वालों को नियंत्रित करने का अधिकार । 

सरकार के हर पैसे पर नियंत्रण का अधिकार । 

सार्वजनिक मामलों व राष्ट्रीय नीति पर चर्चा का अधिकार ।

❇️ लोकसभा :- (हाउस ऑफ पीपल – लोअर हाउस)

🔹 लोकसभा में जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने हुए प्रतिनिधि होते हैं । इसका अध्यक्ष लोकसभा का सदस्य होता है जो स्पीकर कहलाता है । इसके सदस्यों की संख्या 543 + 2 होती है । ( 2 सदस्य राष्ट्रपति मनोनीत करता है ।

सदस्यों का चुनाव लोगों द्वारा प्रत्यक्ष रुप से होता है ।

सदस्य अधिक होने के कारण विचारों को प्राथमिकता मिलने की संभावना ।

पैसे के मामले में अधिक अधिकार ।

मंत्रिपरिषद पर नियंत्रण

अधिकतर मामलों में सर्वोच्च अधिकार

❇️ राज्यसभा :- (काउंसिल ऑफ स्टेट्स – अप्पर हाउस) 

🔹 राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं , इसका अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होता है । इसके सदस्यों की कुल संख्या 250 है जिन में से 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं ।

सदस्यों का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है ।

सदस्य कम होने के कारण विचारों को प्राथमिकता न मिलने की संभावना ।

पैसे के मामले में कम अधिकार ।

मंत्रिपरिषद पर सीधा नियंत्रण नहीं

राज्यों के सम्बन्ध में विशेष अधिकार

❇️ लोकसभा और राज्यसभा में अंतर :-

लोकसभा के सदस्यों का चुनाव लोगों द्वारा प्रत्यक्ष के रूप से होता है । 

राज्यों के संबंध में राज्यसभा को कुछ विशेष अधिकार दिए गए हैं लेकिन अधिकतर मसलों पर सर्वोच्च अधिकार लोकसभा के पास ही है । 

संयुक्त अधिवेशन में लोकसभा के सदस्य अधिक होने के कारण लोकसभा के विचार को प्राथमिकता मिलने की संभावना रहती है । 

लोकसभा पैसे के मामले में अधिक अधिकारो का प्रयोग करती है । 

लोकसभा मंत्रिपरिषद् को नियंत्रित करती है । राज्यसभा को यह अधिकार नहीं ।

❇️ कार्यपालिका :-

🔹 सरकार की नीतियों को ‘कार्यरूप’ देनेवाले को कार्यपालिका या सरकार कहते हैं।

🔹 कार्यपालिका के दो हिस्सा होता है :-

🔶 राजनैतिक कार्यपालिका :- प्रधानमंत्री और मंत्रीपरिषद मिलकर राजनैतिक कार्यपालिका का गठन करते हैं । मंत्रीपरिषद का काम होता है सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों को मूर्तरूप देना या क्रियांवयन करना । इसलिए मंत्रीपरिषद को कार्यपालिका कहा जाता है । राजनैतिक कार्यपालिका के सदस्य जनता द्वारा चुनकर आते हैं ।

🔶 स्थायी कार्यपालिका :- यह नौकरशाओं से मिलकर बनी होती है । नौकरशाहों का चयन अखिल भारतीय सिविल सर्विसेज द्वारा होता है । सरकारें बदलने के बावजूद नौकरशाहों यानी स्थायी कार्यपालिका के कार्यकाल में कोई रुकावट नहीं आती है ।

❇️ प्रधान मंत्री :-

🔹 प्रधान मंत्री सरकार का मुखिया होता है और वास्तव में सभी सरकारी शक्तियों का प्रयोग करता है । वह देश की सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक संस्था हैं ।

राष्ट्रपति प्रधानमंत्री को चुनते है जो बहुमत या गठबंधन या सदन में जिनको बहुमत हासिल हो, की सरकार बनती है ।

प्रधानमंत्री का कार्यकाल तय नहीं होता ।

वह तबतक अपने पद पर रह सकता है जबतक वह पार्टी या गठबंधन का नेता है ।

❇️ मंत्रिपरिषद :-

🔹 मंत्रिपरिषद उस निकाय का सरकारी नाम है जिसमें सारे मंत्री होते हैं । इसमें आम तौर पर 60 से 80 मंत्री होते हैं । मंत्रियों की रैंक इस प्रकार है :-

🔶 कैबिनेट मंत्री :- अक्सर सत्तादल के शीर्ष नेताओं को कैबिनेट मंत्री बनाया जाता है उन्हें प्रमुख मंत्रालयों का भार दिया जाता है । परिषद में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या लगभग 20 होती है ।

🔶 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री :- इन्हें अक्सर छोटे मंत्रालयों का भार दिया जाता है । ये केवल निमंत्रण मिलने पर ही कैबिनेट की बैठक में शामिल होते हैं ।

🔶 राज्य मंत्री :- अपने विभाग के कैबिनेट मंत्रियों से जुड़े होते हैं और उनकी सहायता करते हैं ।

❇️ भारतीय प्रधानमंत्री के अधिकार :-

  • कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता । 
  • विभिन्न विभागों के कार्य का समन्वय । 
  • विभिन्न विभागों की सामान्य निगरानी । 
  • मंत्रियों के कामों का वितरण 
  • किसी मंत्री को बर्खास्त करने का अधिकार ।

❇️ राष्ट्रपति :-

🔹 भारत के राष्ट्राध्यक्ष राष्ट्रपति होते हैं । सरकार का हर निर्णय राष्ट्रपति के नाम में लिया जाता है लेकिन राष्ट्रपति का पद केवल अलंकारिक है । 

🔹 जब कोई बिल संसद से पास हो जाता है तो उस पर राष्ट्रपति के दस्तखत के बाद ही वह कानून बन पाता है । 

🔹 सरकार के हर महत्वपूर्ण निर्णय को लागू करने से पहले उसपर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होना जरूरी है । सभी अंतर्राष्ट्रीय संधि समझौते राष्ट्रपति के नाम में ही बनाए जाते हैं ।

❇️ भारत का राष्ट्रपति नियुक्त होने के लिए अनिवार्य योग्यताएं :-

  • भारत का नागरिक हो । 
  • आयु 35 वर्ष से अधिक हो । 
  • दिवालिया या सजायाफ्ता न हो । 
  • सरकार के अंतर्गत किसी लाभप्रद पद पर कार्यरत न हो । 
  • लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य हो ।

❇️ राष्ट्रपति प्रणाली :-

🔹 सरकार के स्वरूप में राष्ट्रपति की भूमिका केंद्रीय होती है इसलिए इसे राष्ट्रपति प्रणाली कहा जाता है ।

❇️ न्यायपालिका :-

🔹 एक राजनैतिक संस्था जिसके पास न्याय करने और कानूनी विवादों के निबटारे का अधिकार होता है । देश की सभी अदालतों को एक साथ न्यायपालिका के नाम से पुकारा जाता है ।

❇️ न्यायपालिका के अधिकार :-

🔹 इसके पास न्याय करने का अधिकार और कानूनी विवादो के निबटारे का अधिकार होता है ।

❇️ भारत के विभिन्न स्तर के न्यायालयों के नाम :-

  • पूरे देश के लिए सर्वोच्च न्यायालय । 
  • राज्यों में उच्च न्यायालय । 
  • जिला न्यायालय और स्थायी स्तर के न्यायालय ।
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