11 Class Physical Education Chapter 8 खेलों में शरीर रचना , शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत Notes In Hindi
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Physical Education |
Chapter | Chapter 8 |
Chapter Name | खेलों में शरीर रचना , शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत |
Category | Class 11 Physical Education Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Class 11 Physical Education Chapter 8 खेलों में शरीर रचना , शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत Notes In Hindi जिसमे हम एनाटामी , फिजियोलाजी और किनजियोलॉजी की परिभाषा एवं महत्व ककाल तन्त्र के कार्य , हड्डियों का वर्गीकरण एवं जोड़ों के प्रकार पेशी के गुण एवं कार्य श्वसन तन्त्र एवं संचार प्रणाली की सरचना और कार्य सन्तुलन – स्थिाई एवं गतिशील , गुरूत्व केन्द्र एवं खेलों में इसका प्रयोग आदि के बारे में पड़ेंगे ।
Class 11 Physical Education Chapter 8 खेलों में शरीर रचना , शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत Notes In Hindi
📚 अध्याय = 7 📚
💠 खेलों में शरीर रचना , शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत 💠
❇️ शरीर रचना विज्ञान :-
🔹 मानव शरीर रचना विज्ञान में शरीर के सभी अंगों की बनावट , आकार , स्वरूप स्थिति तथा भार आदि का अध्ययन किया जाता है ।
❇️ मानव शरीर क्रिया विज्ञान :-
🔹 मानव शरीर क्रिया विज्ञान में मानव शरीर के सभी संस्थानों के कार्यों तथा उनके परस्पर संबंधों का अध्ययन किया जाता है ।
❇️ किनजियोलॉजी – पेशीय गतिविज्ञान :-
🔹 पेशीय गति विज्ञान की वह शाखा है , जिसमें जीव के शरीर की गति के विषय में सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करते हैं ।
🔹 इस विज्ञान में शरीर की उन क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनमें शरीर की बनावट , मांसपेशी , हड्डियों , जोड़ तथा उसके कार्यरत तन्त्र जो जीव को गति प्रदान करते हैं , एवं जीव की गति को प्रभावित करते हैं ।
❇️ मानव शरीर के मुख्य तन्त्र :-
- कंकाल प्रणाली
- मांसपेशी तंत्र
- पाचन तंत्र
- श्वसन प्रणाली
- तंत्रिका तंत्र
- गंथियां प्रणाली
- उत्सर्जन तंत्र
- प्रजनन प्रणाली
❇️ शरीर रचना विज्ञान , किनजियोलॉजी और शरीर क्रिया विज्ञान का महत्त्व :-
- शारीरिक पुष्टि में मदद करता है ।
- शरीर रचना के बारे में ज्ञान प्रदान करता है ।
- खेल के चयन में मदद करता है ।
- व्यक्तिगत मतभेदों के बारे में जानने मदद करता है ।
- खेल चोटों से बचाता है ।
- पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद करता है ।
- स्वस्थ शरीर बनाए रखने में मदद करता है ।
❇️ कंकाल प्रणाली :-
🔹 कंकाल प्रणाली हमारे शरीर की हडिड्यों की रूप रेखा है । एक वयस्क शरीर में 206 हडिड्याँ होती है ।
❇️ कंकाल प्रणाली के कार्य :-
- कंकाल तन्त्र शरीर को सहारा प्रदान करता है ।
- कंकाल तन्त्र शरीर को आकार और संरचना देता है ।
- कंकाल तन्त्र शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है ।
- कंकाल तंत्र एक उत्तोलक के रूप में भी कार्य करता है ।
- कंकाल तन्त्र की हडिड़यों के बीच की जगह खनिजों के भंडार के रूप में कार्य करती है ।
- यह लाल रक्त कणिकाओं के उत्पाद घर के रूप में भी कार्य करता है ।
- यह Skeleton muscle के junction या अनुलग्नक के रूप में कार्य करता है ।
❇️ हडिड्यों का वर्गीकरण :-
- लम्बी हडिड़याँ ( जांघ की हड्डी ) ( बांह की हड्डी )
- छोटी हडिड्याँ ( उंगलियों की एवं कान की हडडी )
- चपटी हडिड़याँ ( खोपड़ी एवं पसलियों की हडिड़याँ )
- तिल्लाकार हडिड़याँ ( टखने एवं हथेली की हडिड्याँ )
- सुचुरल ( Setural हडिड्यौं ) ( खोपड़ी के जोड़ की हडिडयाँ )
❇️ जोड़ो के प्रकार :-
- अचल या रेशेदार जोड़
- आंशिक चल या उपास्थि जोड़
- स्वतन्त्र रूप से चल जोड़
- कब्जेदार जोड़
- कीलक जोड़
- बाल और सॉकेट जोड
- काठीदार जोड़
- फिसलनदार जोड़
❇️ मांसपेशी :-
🔹 मांसपेशी एक संकुचनशील उत्तक होता है पेशियाँ कंकाल तन्त्र के साथ मिलकर सभी प्रकार की गति के लिए उत्तरदायी होती है ।
❇️ मांसपेशी के गुण :-
🔶 उत्तेजनाशीलता :- मांसपेशियों की सक्रिय होने होने की योग्यता उनकी उत्तेजनशीलता कहलाती है । यदि मांसपेशी की उत्तेजनशीलता ज्यादा होती है , तो इसकी शक्ति , वेग व सहनक्षमता भी ज्यादा होते हैं ।
🔶 संकुचनशीलता :- उत्तेजना की क्रिया को परिणामस्वरूप आकार में परिवर्तन करने की शक्ति की संकुचनशीलता कहते हैं । अतः मांसपेशी का उत्तेजित होने पर आकार परिवर्तन होता है ।
🔶 प्रसार योग्यता :- प्रसार या फैलाव योग्यता मांसपेशी की खींचने की योग्यता होती है । संकुचन क्रिया के दौरान मांसपेशी रेशे छोटे हो जाते हैं । लेकिन आराम अथवा विश्राम अवस्था में दौरान मांसपेशी की लम्बाई को ज्यादा खिंचाव अथवा प्रसार कर सकते है । मांसपेशी रेशों के खिंचाव से ही गति संभव होती है ।
🔶 लचीलापन :- खिंचाव अथवा प्रसार की क्रिया के बाद मांसपेशी रेशों का अपने मूल आकार में पुनः लौट आना ही लोचशीलता है । यदि मांसपेशी में लचीलेपन का गुण नहीं होता तो मांसपेशी एक बार खिंचाव अथवा प्रसार होने के बाद उसी अवस्था में रह जाती ।
❇️ मांसपेशियों के प्रकार :-
- स्वैच्छिक , कंकाल मांसपेशी अथवा धारीदार मांसपेशी
- अनैच्छिक मांसपेशी अथवा चिकनी मांसपेशी
- हृदय की मांसपेणियाँ
❇️ मांसपेशियों के कार्य :-
- मांसपेशी शरीर को आकार एवं संरचना प्रदान करती है ।
- शरीर के भीतरी अंगों को सुरक्षा प्रदान करती हैं ।
- मांसपेशियाँ तरल पदार्थों की गति में मदद करती है ।
- मांसपेशियाँ बल ( उत्तोलक के रूप में ) कार्य करती हैं ।
❇️ मांसपेशी की संरचना :-
🔹 एक मांसपेशी फाइवर मायोफीवरिल से बनी है । प्रत्येक मायोफीवरिल actin और मायोसिन नामक प्रोटीन अणुओं के होते है ।
❇️ श्वसन :-
🔹 श्वसन एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव आसपास से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं ।
❇️ श्वसन प्रक्रिया :-
🔹 यह नाक , फेफड़े , रक्त और कोशिकाओं के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान – प्रदान करते हैं और शरीर में ऊर्जा उत्पादन करते हैं ।
❇️ श्वसन प्रणाली के कार्य :-
- हवा और रक्त के बीच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान – प्रदान करने के लिए ।
- ध्वनि उत्पन्न करने के लिए ।
- रक्त पीएच ( PH ) को विनियमित करने के लिए ।
- कुछ सूक्ष्मजीवों के खिलाफ रक्षा करने के लिए ।
❇️ श्वसन के प्रकार :-
- बाहरी श्वसन
- आंतरिक श्वसन
❇️ संचार प्रणाली :-
🔹 शरीर के विभिन्न भागों के बीच सामग्री का परिवहन संचार प्रणाली कहलाता है । यह हृदय , रक्त वाहिकाओं , धमनियों , कोशिकाओं , नसों ( Venules ) और तरल पदार्थ से मिलकर बना होता है ।
❇️ हृदय :-
🔹 हृदय मुट्ठी के आकार का है । इसके चार कक्ष होते हैं । यह रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध / ऑक्सीजन रहित रक्त इकट्ठा करता है और शुद्ध / ( Oxygenation ) के बाद शरीर के विभिन्न भागों में शुद्ध / ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है ।
❇️ हृदय के कार्य :-
🔹 शरीर में रक्त का प्रवाह करता है । हृदय संकुचन की प्रक्रिया तथा कार्य दबाव पंप की तरह होता है जिसके कारण रक्त हृदय से निकलकर धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाता है ।
❇️ धमनियाँ :-
🔹 वे नलिकाएँ जिनमें हृदय से शुद्ध रक्त निकलकर बहता है उन्हें धमनियाँ ( Arteries ) कहा जाता है ।
- 1. लचीली धमनियाँ
- 2. मांसपेशिय धमनियाँ
- 3. आर्टट्रीओलस ( Arterioles )
❇️ शिराएं :-
🔹 इन नलिकाओं द्वारा शरीर से अशुद्ध रक्त वापिस हृदय में लाया जाता है ।
❇️ कोशिकाएं :-
🔹 ये बहुत ही पतली नलिकाएं होती है जो रक्त परिसंचरण का कार्य करती है ।
- 1. निरंतर कोशिकाएं
- 2. फेनेस्ट्रेटेड ( Fenestrated ) कोशिकाएँ
- 3. सिन्यूसायडल कोशिकाएं ( ( Sinusoidal )
❇️ रक्त :-
🔹 रक्त तरल पदार्थ का एक विशेष प्रकार है , जो शरीर के एक भाग से दूसरे भाग के लिए पोषक तत्वों और गैसों को ले जाने के एक माध्यम के रूप में कार्य करता है ।
❇️ हृदय दर :-
🔹 यह दिल द्वारा संकुचन में प्रयुक्त रक्त की मात्रा है । यह सामान्य वयस्क में लगभग 80 मिलीलीटर प्रति संकुचन है , जबकि प्रशिक्षित खिलाड़ियों में यह 110 मिलीलीटर / संकुचन होती है ।
❇️ हृदयी निर्गम :-
🔹 कार्डियक आउटपुट = स्ट्रोक मात्रा X दिल की दर । यह बेसल स्तर पर 5 से 6 लीटर हैं ।
❇️ रक्तचाप :-
🔹 यह रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर रक्त के द्वारा लगाए जाने वाले दबाव है ।
❇️ दूसरी पवन :-
🔹 लम्बे समय तक व्यायाम की वजह से सांस लेने में असमर्थता को हमारे शरीर द्वारा स्वचालित रूप से हटा दिया जाता हैं खिलाड़ी को मिलने वाली राहत के अहसास को ‘ दूसरी पवन ‘ कहते हैं ।
❇️ ऑकसीजन ऋण :-
🔹 जोरदार गतिविधि के बाद वसूली की अवधि के ( Recovery period ) दौरान एक खिलाड़ी द्वारा ली ऑक्सीजन की मात्रा ‘ ऑक्सीजन ऋण के रूप में कही जाती है ।
❇️ संतुलन :-
🔹 किसी बिंदु पर कार्य करने वाले बल का परिणाम जब शून्य होता है , तो ऐसी स्थिति को सन्तुलन कहते हैं ।
❇️ गतिशील सन्तुलन :-
🔹 किसी व्यक्ति या वस्तु द्वारा गतिशील रहते हुए स्थिरता बनाए रखने को गतिशील सन्तुलन कहते हैं ।
❇️ स्थिर सन्तुलन :-
🔹 जब व्यक्ति स्थिर अवस्था में होता है तब उसे स्थिर संतुलन कहते हैं ।
❇️ स्थिरता के सिद्धांत :-
- सहारे के लिए चौड़ा आधार चाहिए ।
- स्थिरता शरीर के भार के अनुपातिक होती है ।
- जब गुरूत्व केन्द्र आधार के मध्य में होता है तब अधिक स्थिरता होती है ।
- गुरूत्व केन्द्र नीचे रखने से स्थिरता बढ़ती है ।
❇️ गुरूत्व केन्द्र :-
🔹 गुरूत्व केन्द्र यह एक काल्पनिक बिंदु है जिसके चारों ओर शरीर संतुलित रहता है । केन्द्र अपना स्थान बदलता है । अन्यथा यह निश्चित ( Fix ) होता है ।
❇️ बल :-
🔹 एक शरीर द्वारा दूसरे शरीर को धकेलने या खींचने की प्रक्रिया बल कहते है बल किसी वस्तु के भार एवं त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है ।
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