संघवाद Notes, Class 11 political science chapter 7 notes in hindi

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11 Class Political Science Chapter 7 संघवाद Notes In Hindi Federalism

TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectPolitical Science
Chapter Chapter 7
Chapter Nameसंघवाद
Federalism
CategoryClass 11 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi

संघवाद Notes, Class 11 political science chapter 7 notes in hindi जिसमे हम संघवाद , संघीय , भारतीय संविधान में संघवाद , संघ सूची आदि के बारे में पड़ेंगे ।

Class 11 Political Science Chapter 7 संघवाद Federalism Notes In Hindi

📚 अध्याय = 7 📚
💠 संघवाद 💠

❇️ संघवाद का अर्थ :-

🔹 साधारण शब्दों में कहें तो संघवाद संगठित रहने का विचार है । ( संघ – संगठन + वाद – विचार ) । 

❇️ संघवाद :-

🔹  ‘ संघवाद ‘ एक संस्थागत प्रणाली है जिसमें दो स्तर की राजनीतिक व्यवस्थाओं को सम्मिलित किया जाता है , इसमें एक संधीय ( केन्द्रीय ) स्तर की सरकार और दूसरी प्रांतीय ( राज्यीय ) स्तर की सरकारें ।

❇️ संघीय :-

🔹 संघीय ( केन्द्रीय ) सरकार पूरे देश के लिए होती है , जिसके जिम्मे राष्ट्रीय महत्व के विषय होते है और राज्य की सरकारें अपने प्रांत ( राज्य ) विशेष के लिए होती है , जिसके जिम्में राज्य के महत्व के विषय होते हैं ।

🔹 उदाहरण :- भारत में संघ सूची के विषयों पर केन्द्रीय ( संघीय ) सरकार कानून बनाती है तो राज्य सूची के विषय पर राज्य सरकार कानून बनाती है । 

❇️ भारतीय संविधान में संघवाद :-

🔹 संविधान के अनुच्छेद – 1 में भारत को ‘ राज्यों का संघ ‘ कहा गया है । 

🔹 भारत में जो संघवाद अपनाया गया है , उसका आधार राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान आन्दोलन कर्ताओं के द्वारा लिए उस फैसले का परिणाम है कि जब देश आजाद होगा तब विशाल भारत देश पर शासन करने के लिए शक्तियों को प्रांतीय और केन्द्रीय सरकारों के बीच बांटेगे । आज संविधान में ऐसा ही है । 

❇️ भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था :-

🔹  भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था ( संघवाद ) के अनुसार – एक संघीय ( केन्द्रीय ) सरकार + अठ्ठाइस ( 28 ) राज्य तथा आठ ( 08 ) केन्द्र शासित सरकारें अपने – अपने प्रांतों में अपने – अपने विषयों पर काम करती है । सात केन्द्र शासित प्रांतों में से दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दर्जा दिया गया है ।

🔹  वेस्टइंडीज , नाईजीरिया , अमेरिका एवं जर्मनी जैसे देशों में भी ‘ संघवाद ‘ है परन्तु भारतीय संघवाद से भिन्न ।

❇️ भारतीय संघवाद की विशेषताएं :-

  • भारत में तीन स्तर ( केन्द्रीय स्तर , राज्य तथा स्थानीय स्तर ) की सरकारें है । 
  • लिखित संविधान । 
  • शक्तियों का विभाजन ( संघ सूची – 97 ) , राज्य सूची ( 66 ) , समवर्ती सूची ( 47 ) + अवशिष्ट शक्तियों ।
  • स्वतंत्र न्यायपालिका । 
  • संविधान की सर्वोच्चता । 

❇️ संघ सूची :-

🔹 राष्ट्रीय महत्त्व के विषय इसमें लगभग 99 विषय हैं , जैसे- रक्षा , विदेष , रेल , बन्दरगाह , बैंक , खनिज आदि । 

❇️ राज्य सूची :-

🔹 साधारणतय क्षेत्रिय महत्त्व के विषय लगभग 66 विषय है , जैसे- पुलिस , न्याय , स्थानीय स्वशासन , कृषि , सिंचाई , स्वास्थ्य आदि । 

❇️ समवर्ती सूची :-

🔹 लगभग 47/52 है , जैसे- फौजदारी , विधि प्रक्रिया , सामाजिक सुरक्षा आदि ।

❇️ शक्ति विभाजन :-

🔹 भारतीय संविधान में दो तरह की सरकारों की बात मानी गई है – एक संघीय ( केन्द्रीय ) सरकार तथा दूसरी प्रांतीय ( राज्य ) सरकार । संविधान के अनुच्छेद 245 – 255 में संघ तथा राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण का घोषणा पत्र है । संघीय ( केन्द्रीय ) सरकार के पास राष्ट्रीय महत्व के तो प्रांतीय ( राज्य ) सरकार के पास प्रांतीय महत्व के विषय हैं । 

❇️ भारतीय संविधान के संघात्मक लक्षण :-

🔶 संविधान की सर्वोच्चता :- कोई भी शक्ति संविधान से ऊपर नहीं है । सभी संविधान के दायरे में रहकर काम करेंगे । 

🔶 शक्तियों का विभाजन :- देश में केन्द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य शक्तियों को तीन सूचियों ( संघ सूची , राज्य सूची एवं समवर्ती सूची ) के अन्तर्गत बांटा गया है । 

🔶 स्वतंत्र न्यायपालिका :- भारत में एक स्वतंत्र न्यायपालिका है जो सरकार को तानाशाह होने से रोकता है , तथा सभी नागरिकों को निष्पक्ष न्याय दिलाती 

🔶 संशोधन प्रणाली :- यह संघीय प्रक्रिया के अनुरूप है । 

🔶 तीन स्तर की सरकारें :- केन्द्र , राज्य एवं स्थानीय ।

❇️ भारतीय संविधान में एकात्मकता के लक्षण :-

🔹 भारतीय संविधान में संघात्मक लक्षणों के साथ ही एकात्मक लक्षण भी है जो निम्न :-

इकहरी नागरिकता । 

शक्ति विभाजन में संघीय ( केन्द्रीय ) पक्ष अन्य से अधिक ताकतवर । 

संघ और राज्यों के लिए एक ही संविधान । 

एकीकृत न्यायपालिका । 

आपातकाल में एकात्मक शासन ( केन्द्र शक्तिशाली ) 

राज्यों में राष्ट्रपति द्वारा राज्यपालों की नियुक्ति । 

इकहरी प्रशासकीय व्यवस्था ( अखिल भारतीय सेवाएं – IAS ) 

संविधान संशोधन में संघीय सरकार का महत्त्व । 

❇️ भारतीय संघ में सशक्त केन्द्रीय सरकार क्यों ?

🔹 भारतीय संविधान द्वारा एक शक्तिशाली ( सशक्त ) केन्द्रीय ( संघीय ) सरकार की स्थापना करने के कारण निम्न है :-

भारत एक महाद्वीप की तरह विशाल तथा अनेकानेक विविधताओं और सामजिक – आर्थिक समस्याओं से भरा है । 

संविधान निर्माता शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार के माध्यम से उन विविधताओं तथा समस्याओं का निपटारा चाहते थे । 

देश की आजादी ( 1947 ) के समय 500 से अधिक देशी रियासते थी उन सभी को शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार के द्वारा ही भारतीय संघ में शमिल किया जा सका । 

❇️ भारतीय संघीय व्यवस्था में तनाव :-

🔹 केन्द्र – राज्य संबंध – संविधान में केन्द्र को अधिक शक्ति प्रदान करने पर अक्सर राज्यों द्वारा विरोध किया जाता है । और राज्य निम्नलिखित मांगे करते है ।

🔶 स्वायत्तता की मांग :-  समय – समय पर अनेक राज्यों और राजनीतिक दलों में राज्यों को केन्द्र के मुकाबले ज्यादा स्वायतता देने की मांग उठाई हे जो निम्न रूपों में है।

  • वित्तीय स्वायत्तता :- राज्यों के आय के अधिक साधन होने चाहिए तथा संसाधनों पर राज्य का नियंत्रण । 
  • प्रशासनिक स्वायत्तता :- शक्ति विभाजन को राज्यों के पक्ष में बदला जाएं । राज्यों को अधिक महत्व के अधिकार । शक्तियां दी जाए । 
  • सांस्कृतिक और भाषाई मुद्दे :- तमिलनाडु में हिन्दी विरोध मे पंजाब में पंजाबी व संस्कृत के प्रोत्साहन की मांग । 

🔶 राज्यपाल की भूमिका तथा राष्ट्रपति शासन :-

केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों की सरकारों की सहमति के बिना , राज्यपालों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा करा दी जाती है । 

केन्द्र सरकार द्वारा राज्यपाल के माध्यम से अनुच्छेद – 356 का अनुचित प्रयोग कर , राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगवा देना । 

🔶  नए राज्यों की मांग :- 

भारतीय संघीय व्यवस्था में नवीन राज्यों के गठन की मांग को लेकर भी तनाव रहा है । 

🔶 अंतर्राज्यीय विवाद :-

संघीय व्यवस्था में दो या दो से अधिक राज्यों में आपसी विवादों के अनेकों उदाहरण है । 

राज्यों के मध्य सीमा विवाद – जैसे बेलगांव को लेकर महाराष्ट्र और कर्नाटक में टकराव । । 

नदियों के जल बंटवारे को लेकर विवाद , जैसे – कर्नाटक एवं तमिलनाडू कावेरी जल – विवाद में फंसे है । 

🔶 विशिष्ट प्रावधान : ( पूर्वोतर के राज्य तथा जम्मू कश्मीर ) :-

संविधान के अनुच्छेद 370 द्वारा जम्मू कश्मीर को विशिष्ट स्थिति प्रदान की गई है । जैसे – अलग संविधान , अलग ध्वज तथा भारतीय संसद राज्य सरकार की सहमति के बिना आपातकाल नहीं लगा सकती आदि ।

संविधान के अनुच्छेद 371 से 371 ( झ ) तक में नागालैंड , असम , मणिपुर , आन्ध्रप्रदेश , सिक्किम , मिजोरम , अरूणाचल प्रदेश और गोवा को विशिष्ट स्थिति प्रदान की गई है । 

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