9 Class Political Science Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Notes In Hindi Democratic Rights
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Political Science |
Chapter | Chapter 5 |
Chapter Name | लोकतांत्रिक अधिकार Democratic Rights |
Category | Class 9 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
लोकतांत्रिक अधिकार कक्षा 9 notes, class 9 civics chapter 5 notes in hindi जिसमे हम अधिकार , समानता का अधिकार , स्वतंत्रता का अधिकार , धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार , शैक्षिक व सांस्कृतिक अधिकार , शोषण के विरूद्ध अधिकार , संवैधानिक उपचारों का अधिकार आदि के बारे में पड़ेंगे ।
Class 9 Political Science Chapter 5 लोकतांत्रिक अधिकार Democratic Rights Notes In Hindi
📚 अध्याय = 5 📚
💠 लोकतांत्रिक अधिकार 💠
❇️ अधिकारों के बिना जीवन :-
🔹 अधिकारों के महत्व का अंदाजा उसी से लगाया जा सकता है जिसके जीवन में अधिकारों का अभाव है । निम्नलिखित तीन उदाहरण बताते हैं कि अधिकारों के अभाव में जीने का क्या अर्थ है ।
🔶 1 . गुआंतानामों बे का जेल :-
अमेरिकी फ़ौज ने दुनिया भर के विभिन्न स्थानों से 600 लोगों को चुपचाप पकड़ लिया ।
इन लोगों को गुआंतानामो बे स्थित एक जेल में डाल दिया ।
अमेरिकी सरकार कहती है कि ये लोग अमेरिका के दुश्मन हैं और न्यूयॉर्क में हुए 11 सितंबर 2001 के हमलों से इनका संबंध है ।
अनस के पिता जमिल अल बन्ना उन 600 लोगों में एक हैं जिन्हें केवल संदेह के आधार पर पकड़ कर जेल में डाल दिया गया ।
अधिकांश मामलों की गिरफ्तारी की सूचना किसी को भी नहीं दी गई ।
परिवार वालो मिडिया सयुंक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों तक को इन कैदियों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई ।
न ही ये कैदी किसी अदालत के दरवाजे खटखटा सकते थे ।
एक अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने गुआंतानामों बे के कैदियों की स्थिति के बारे में सूचनाएँ इकट्ठी की और उन कैदियो पर होने वाले अत्याचारों के बारे में बताया ।
कैदी भूख हड़ताल करके अपनी स्थितियों के खिलाफ विरोध करना चाहते तो उन्हें जबरदस्ती नाक मुँह के रास्ते खाना खिलाया जाता ।
निर्दोष करार कैदियों को भी रिहा नहीं किया गया ।
जब संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा गुआंतानामो बे जैल को बंद कर देने को कहा तो इसे भी मानने से इंकार कर दिया गया ।
🔶 2 . सऊदी अरब में नागरिक अधिकार :-
सऊदी अरब की सरकार अपने ही नागरिकों के साथ दोहरा बर्ताव करती है ।
देश में एक वंश का शासन चलता है ।
जनता को इसे चुनने और बदलने में कोई भूमिका नहीं ।
शाह ही विधायिका और कार्यपालिका के लोगों का चुनावे करते है ।
शाह ही न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है ।
न्यायालय के निर्णयों को शाह पलट ( बदल ) सकता है ।
कोई भी व्यक्ति राजनीतिक दल , संगठन का गठन नहीं कर सकता ।
मिडिया शाह की मर्जी के खिलाफ कोई भी खबर नहीं दे सकता ।
जनता को धार्मिक आजादी नहीं है ।
केवल मुसलमान ही यहा के नागरिक हो सकते है ।
दूसरे धर्मों के सार्वजनिक रूप से धार्मिक अनुष्ठानों पर रोक है वे अपने धर्म के अनुसार पूजा पाठ अपने घर के अन्दर ही कर सकते है ।
सऊदी अरब में औरतों और पुरुषों में वैधानिक रूप से अन्तर किया जाता है ।
सऊदी अरब में महिलाओं पर अनेक सार्वजनिक पाबन्दियाँ लगी है । जैसे – मताधिकार , वाहन चलाना ।
🔶 3 . कोसोवो में जातीय नरसंहार :-
कोसोवो पुराने युगोस्लाविया का एक प्रांत था यहाँ अल्बानियाई लोगों की संख्या बहुत ज्यादा थी ।
परन्तु पूरे देश में सर्व लोग बहु संख्यक थे ।
उग्र सर्व राष्ट्रवाद के भक्त मिलोशेविक ने कोसोवो में चुनावों में जीत हासिल कर ली ।
मिलोशेविक सरकार का अल्बानियाई लोगो के प्रति बहुत ही कठोर व्यवहार किया ये चाहते थे कि अल्बानियाई लोगों जैसे अल्पसंख्यक या तो देश छोड़कर चले जाए या सर्बो का प्रभुत्व स्वीकार कर ले ।
कोसोवो के एक शहर में अप्रैल 1999 में अल्बानियाई परिवार के साथ घटना घटी ।
74 वर्षीय बतीशा होम्सा अपने 77 वर्षीय पति इजेत के साथ बैठी आग ताप रही है । सर्बिया की फौज शहर में घुस आई थी और विस्फोट होने लगें ।
तभी दरवाजा खोल कर 5-6 सैनिक दनदनाते हुए अन्दर आ गए पुछा “ बच्चे कहाँ है ” ।
इजेत की छाती में तीन गोलिया दाग दी होम्सा की शादी की अंगुठी उतार फेकी उसके घर को आग लगा दी ।
वह बरसात में बेसहारा बेबस लाचार सड़क पर खड़ी ।
यह सब उसके साथ जनता द्वारा चुनी हुई सरकार ने किया ये नरसंहार देश की सेना ने लोकतान्त्रिक नेता के कहने पर किया ।
जो जातीय पूर्वाग्रह से प्ररित था ।
आखिरकार कई देशों की दखल से यह काम रूका ।
बाद में अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में मिलोशेविक के खिलाफ मानवता विरूद्ध कृत के लिये मुकदमा चलाया ।
❇️ लोकतंत्र में अधिकार :-
अधिकार का मतलब ये होना चाहिए कि लोगों की सुरक्षा, उसके सम्मान का ख्याल और समान अवसर जरूर हों ।
कुछ भी गलत होता है या गलत करता है तो दोनों पक्षों की बातों को जाँच-परख करनी चाहिए ।
❇️ अधिकार :-
🔹 अधिकार लोगों के तार्तिक दावे हैं , इन्हें समाज से स्वीकृति और अदालतों द्वारा मान्यता मिली होती है । लोकतंत्र की स्थापना के लिए अधिकारों का होना जरूरी है ।
❇️ लोकतन्त्र में अधिकारों (लोकतांत्रिक अधिकार) की क्या जरूरत है ?
इसमें हर नागरिक को वोट देने और चुनाव लड़कर प्रतिनिधि चुने जाने का अधिकार है ।
लोकतान्त्रिक चुनाव में लोग अपना विचार को व्यक्त करते हैं, राजनैतिक पार्टी बनाने और इनकी गतिविधियों की आजादी भी है ।
अधिकार बहुसंख्यकों के दमन से अल्पसंख्यकों की रक्षा करती है ।
अधिकार स्थितियों के बिगड़ने पर एक तरह की गारंटी जैसा है ।
सरकार भी कभी कभी तानाशाही करने लगती है । इससे बचाने के लिए संविधान बनाया गया है जिसे सरकार भी उल्लंघन नहीं कर सकती ।
❇️ भारतीय संविधान में अधिकार :-
🔹 अधिकार कुछ अधिकार जो हमारे जीवन के लिए मौलिक हैं, उन्हें भारतीय संविधान में एक विशेष दर्जा दिया गया है । उन्हें मौलिक अधिकार कहा जाता है ।
🔹 ये बुनियादी मानवाधिकार हैं, जो लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को उसके व्यक्तित्व के विकास के लिए दिए जाते हैं । ये अधिकार संविधान द्वारा गारंटीकृत हैं ।
🔹 वे अपने सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता और न्याय सुरक्षित करने का वादा करते हैं । इसलिए, वे भारत के संविधान की एक महत्वपूर्ण बुनियादी विशेषता हैं ।
❇️ संविधान द्वारा भारत में नागरिकों को मान्यता प्राप्त मौलिक अधिकार :-
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
- शैक्षिक व सांस्कृतिक अधिकार
- शोषण के विरूद्ध अधिकार
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
❇️ समानता का अधिकार :-
सरकार किसी से भी उसके धर्म , जाति , समुदाय , लिंग और जन्म स्थल के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकती ।
दुकान , होटल और सिनेमा घरों जैसे सार्वजनिक स्थलों में किसी के प्रवेश को रोका नहीं जा सकता ।
सरकारी में किसी पद पर नियुक्ति के मामले में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता ।
किसी व्यक्ति का दर्जा या पद चाहे जो हो सब पर कानून समान रूप से लागू होता है ।
कोई भी व्यक्ति कानूनी रूप से अपने पद या जन्म के आधार पर विशेष अधिकार का दावा नहीं कर सकता ।
- अनुच्छेद 14 : विधि के समक्ष समता
- अनुच्छेद 15 : धर्म , मूलवंश , जाति , लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 16 : लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता
- अनुच्छेद 17 : अस्पृश्यता का अंत
- अनुच्छेद 18 : उपाधियों का अंत
❇️ स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत स्वतंत्रताएं :-
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ।
शांतिपूर्ण ढंग से जमा होने की स्वतंत्रता ।
देश में कहीं भी आने जाने की स्वतंत्रता ।
देश के किसी भी भाग में रहने – बसने की स्वतंत्रता ।
कोई भी काम करने , धंधा करने या पेशा करने की स्वतंत्रता ।
- अनुच्छेद 19 : वाक् – स्वतन्त्र्य आदि कुछ अधिकारों का संरक्षण
- अनुच्छेद 20 : अपराधों के लिए दोषसिद्धि के सम्बन्ध में संरक्षण
- अनुच्छेद 21 : प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण
- अनुच्छेद 21 कः शिक्षा का अधिकार
- अनुच्छेद 22 : कुछ दशाओं में गिरफ्तारी और निरोध से संरक्षण
❇️ धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार :-
हर किसी को अपना धर्म मानने , उस पर आचरण करने और उसका प्रचार करने का अधिकार ।
हर धार्मिक समूह को अपने धार्मिक कामकाज के प्रबंधन की आजादी है ।
अपने धर्म का प्रचार करने के अधिकार का मतलब किसी को झाँसा या लालच दे कर उसका धर्म परिवर्तन कराना नहीं है ।
- अनुच्छेद 25 : अंतःकरण और धर्म की अबाध रूप से मानने , आचरण करने , और प्रचार करने स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 26 : धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता
- अनुच्छेद 27 : किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करों के संदाय के बारे में
- अनुच्छेद 28 : कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता
❇️ शैक्षिक व सांस्कृतिक अधिकार :-
नागरिकों में विशिष्ट भाषा या संस्कृति वाले किसी भी समूह को अपनी भाषा और संस्कृति बचाने का अधिकार है ।
किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान पाने वाले शैक्षिक संस्थान में किसी नागरिक को धर्म या भाषा के आधार पर दाखिला लेने से रोका नहीं जा सकता ।
सभी अल्पसंख्यकों को अपनी पसंद का शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और चलाने का अधिकार है ।
- अनुच्छेद 29 : अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण
- अनुच्छेद 30 : शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार ।
❇️ शोषण के खिलाफ अधिकार :-
संविधान मनुष्य जाति के अवैध व्यापार को मना करता है ।
संविधान किसी किस्म के बेगार या जबरन काम लेने को मना करता है ।
संविधान बाल मज़दूरी को मना करता है ।
- अनुच्छेद 23 : मानव के दुर्व्यपार और बलात्श्रम का प्रतिषेध
- अनुच्छेद 24 : कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध
❇️ संवैधानिक उपचार का अधिकार :-
- संवैधानिक उपचार के अधिकार के अंतर्गत हम संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की सूरत में अदालत से इन अधिकारों की माँग कर सकते है ।
❇️ मानवाधिकार आयोग :-
🔹 भारत सरकार ने 1993 में मानवाधिकार आयोग गठित किया । 14 राज्यों में राज्य मानवाधिकार आयोग हैं ।
❇️ मौलिक अधिकारों की सुरक्षा :-
संवैधानिक उपचारों के अधिकार के द्वारा हम मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सीधे हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं ।
विधायिका या कार्यपालिका के किसी भी फैसले या काम से मौलिक अधिकारों का हनन हो या उनमें कोई कमी हो तो वह फैसला या काम अवैध हो जाएगा ।
अदालतें गड़बड़ी का शिकार होने वाले को हर्जाना दिलवा सकती हैं और गड़बड़ी करने वालों को दंडित कर सकती हैं ।
भारत में स्वतंत्र न्यायपालिका होने के कारण भारतीय अदालतें मौलिक अधिकारों का संरक्षण करने में सक्षम है ।
❇️ दक्षिण अफ्रीका के संविधान में नागरिकों को प्राप्त नए अधिकार :-
- निजता का अधिकार
- पर्यायवरण का अधिकार
- पर्याप्त आवस पाने का अधिार
- स्वास्थ्य सेवाओं , पर्याप्त भोजन और उन तक पहुँच का अधिकार
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